हरदा : जिले के फटाखा व्यापारी की खुलेआम दबंगई । व्यापारी और प्रशासन के अधिकारियों की साठगांठ से लंबे समय से फटाखा फेक्ट्री में नियम विरुद्ध नाबालिग बच्चो से मजदूरी करवाई जाती है। लेकिन जब कभी कोई घटना या हादसा हो जाता है तो न्याय के लिए इन गरीब बच्चो के माता पिता को सालो भटकने के बाद भी जिला प्रशासन इंसाफ नहीं दिला पाता । उक्त आरोप वरिष्ठ पत्रकार डी एस चौहान ने लगाए। उन्होंने कहा कि
हरदा जिले में पटाखा फैक्ट्री का कारोबार जोरों से चल रहा है प्रशासन की लापरवाही या मिलीभगत से 15 किलो की बारूद लायसेंस पर रोजाना इससे दस गुना की बारुद का उपयोग हो रहा है। लेकिन प्रशासन ने खुल्ली छूट दे रखी है पीपलपानी पटाखा फैक्ट्री में मृतक को अभी तक राशि नहीं मिली। हाल में ही कुजरगाव पटाखा फैक्ट्री जो रिकार्ड में बंद थी।
वहां पर रह रहे मजदूर की मौत हो अननपनन में फेक्ट्री सील कर दी लेकिन बाद में पुनः फेक्ट्री चालू हो गई पटाखे फेक्ट्री में मजदूर की जानकारी श्रम विभाग को दी जाना चाहिए। लेकिन नियमों का पालन नहीं हो रहा है पीपलपानी में मृतक के बाद दूसरा लायसेंस ज़ारी कर दिया गया। जबकि एक ही जमीन है मगर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से असमय मजदूरों की मौत हो रही है। श्री चौहान ने कहा कि प्रशासन को लगातार अवगत कराया जा रहा है लेकिन पटाखे फेक्ट्री पर जिला प्रशासन का अंकुश शून्य नज़र आ रहा है। लायसेंस के आधार पर बारुद कच्चा माल पक्का बिल आदि अनियमितता जग जाहिर है। जगह-जगह गांवों में पटाखे को लेकर समय-समय पर स्थानीय प्रशासन पुलिस को अवगत कराया गया लेकिन अंकुश शून्य नज़र आ रहा है ।
हरदा जिले से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में पटाखे भेजे जाते हैं पूर्व में हरदा अपर क्लेक्टर ने मीडिया के सामने पटाखे का काफी स्टाक हरदा मुख्यालय पर पकडा लेकिन आज
कुजरगाव में मजदूर की मौत ओर मौके पर फेक्ट्री का संचालन नियम विरुद्ध पाया। लेकिन जांच के चलते फेक्ट्री चालू होना स्थानीय प्रशासन कि कार्यप्रणाली को लेकर संदेह व्यक्त करता है भविष्य में कोई हादसे के बाद ही प्रशासन जागता है। कितने मजदूर काम करते है। कभी भी कोई अधिकारी आकस्मिक निरीक्षण नहीं करते है। और नही वहा पर कैमरे की कोई व्यवस्था है।