हरदा:74 वर्षीय बुजुर्ग ने 4 महीने में बनाई कृषि-गृहस्थी के ऐसे ढाई सौ सामान की प्रतिकृति, जो युवा पीढ़ी के लिए हैं अनमोल ! देखें खबर और वीडियो
74 वर्षीय बुजुर्ग ने 4 महीने में बनाई कृषि-गृहस्थी के ऐसे ढाई सौ सामान की प्रतिकृति, जो युवा पीढ़ी के लिए हैं अनमोल ! देखें खबर और वीडियो
हरदा जिले मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कुकरावद के 74 वर्षीय सदाशिव टाले ने अपने पेट की बीमारी और उससे उपजे तनाव से ध्यान हटाने की एक ऐसी जुगत लगाई की सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
हुआ यूं कि करीब 4 माह पूर्व बुजुर्ग टाले जो पेट की बीमारी के चलते और अधिक सोच विचार से मनोजन्य रोगों से घिरने लगे तभी उन्हें यह उपाय सूझा कि ख़ाली रहने बैठने के बजाय वे किसी काम में लग जाएं। घर पर लकड़ी की उपलब्धता और अपने हाथ से बनाये औजार का सहारा लेकर उन्होंने पिछले कुछ माह में खेती और गृहस्थी से जुड़े कई जरूरी सामान जैसे हल बख्खर, जूड़ी, कुलपे , डाबका, इसुप, बैलगाड़ी, कुल्हाड़ी, रई, कुआं चरखी आदि का छोटे रूप में निर्माण किया। ऐसे सभी आइटम्स की संख्या 250 से अधिक रही। टाले जी यहां लकड़ी की वस्तुओं का निर्माण अर्थोपार्जन के लिए नहीं बल्कि अपने रोग के समाधान के लिए कर रहे हैं। ऐसे सभी सामान वे बहन बेटियों को उपहार स्वरूप बांटते रहे। अभी भी टाले जी के कक्ष में दीवार पर अनेकों स्वनिर्मित वस्तुएं लगी हुई हैं।
वे ग्रामीण चौपालों पर होने वाली अनावश्यक चर्चाओं , बहसों, अन्य बातों को करने के बजाय समय का प्रबंधन करने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि रात में 9 बजे सोकर वे सुबह 5 बजे उठकर पशुधन को दुहकर, उनकी सेवा चाकरी कर साथ ही कृषि भूमि से जुड़े अन्य कार्य सम्पन्न कर अपने मनपसंद काम में तल्लीन हो जाते हैं। विश्राम के समय धार्मिक ग्रंथ व पुस्तको का अध्ययन कर वे मन को शांत रखने व मन पर नियंत्रण रखने का मौन रहकर अभ्यास करते हैं।
सादा भोजन – उच्च विचार, मूलमंत्र को अपनाने वाले टाले जी धोती कुर्ता के ग्रामीण परिवेश में रहकर आज की एंड्रॉइड पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ाव का जो मंत्र अपने काम के जरिये दे रहे हैं वो अनमोल है।
ट्रेक्टर हार्वेस्टर के आधुनिक जमाने में बैलों द्वारा खेती होने के 5 दशक पुराने दौर में इस्तेमाल उपकरण से उनका जुड़ाव उनके निर्माण कार्य की नींव रखता है। वे चाहते हैं तरक्की के दौर में भी पारंपरिक वस्तुओं को भी सहेजा जाए।
कभी कभार मोबाइल का इस्तेमाल करने वाले टाले पुराने वर्षों के याददाश्त लिखे कैलेंडर को संभाल कर रखे हुए हैं। टाले जी के पास सन 1970 से 2025 तक के मे. बाबूलाल चतुर्वेदी फर्म के कैलेंडर का संग्रह भी है।