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हरदा एमपी ◆बदामी – दाजी राम राम ! बात हरदे की !

●दाजी – राम राम, अरे केरे बदामी कां से आ रया भन्नाते हुए 

◆बदामी – कईं नि न्हई बस स्टैंड तक गएल थो। एक होटल की खूब चर्चा सुनी तो सोच्यो जाके देखूं 

●दाजी – काई देख्यो फिर

◆बदामी –  अब कई बाल दिखे व्हां। एक हफ्ता म तो सब बर्तन ठीकरा माँज चमका के रख रूखा लिया होयगा । सांप हिट गयो, घिसान मिट मिटा गयी होयगी। इत्ता दिन म तो गमी वाला घर मे नुक्तो हो जाय। म तो सायकल से चक्कर मार ख आ गयो। 

●दाजी –  केरे रुद्राक्ष तो बड़ो पवित्र फल आय, फेर व्हां गड़बड़ कसी हुई

◆बदामी – हुई कि नि हुई। भोले भंडारी जानें। पर भक्तजन के रया व्हां एकमुखी थोड़ी थो, माला पोएल थी गंज बड़ी। 

●दाजी – व्यवस्था तो ओख एवन  बता री !  क्लीन फलीन चिट देके फेर 

◆बदामी – एक तरफ व्यवस्था एक तरफ हरदो ! बीच मे खो-खो और गंज बड़ो परदो। कईं दिखे नि दिखाय, मुंह से गोला छोड़ रया लोग होण 

●दाजी – पूरी की पूरी गली अंधी हो गयी काई

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◆बदामी – गली म मकान कम, दुकान ज्यादा है दाजी 

●दाजी – बिना धुंआ उड़े आग की चर्चा होय कई बदामी, हरदो इत्तो ..तियो भी नि की …! 

◆बदामी –  बात तो सई है दाजी , फिर भी अफवाह का हाथ पांव नि होय, फेर अफवाह का सरीर कां से लावां। 

●दाजी – केरे बदामी जब एक आदमी के नांव पर राज में  एक कमरा म 10 मुंडी भेली हो सके  और रपोट में गलत सलत नांव आ सके तो …माला भी तो गंज बड़ी हो सके कि नि 

◆बदामी – बात तो सई है दाजी , होटल होन म रजिस्टर गलत सलत मेनटेन होतो होयगो !  आचार संहिता बारा मैना होनु चईये 

●दाजी – के रे बदामी, साधारण आदमी के साथ कुछ होय तो ओकी तो बारा बजा दे भैया होन   !

◆बदामी – हव दाजी , सुट्टी दाबना का पीछे भी असाधारण (गंज) वजह हो सके। खो-खा का कग्गज भी जतर कतर गिरी सकां ! 

●दाजी – अच्छा ये बता बदामी  कि सीसीटीवी से काई होय ! 

◆बदामी – जब अपना घर मे चोरी से चोर घुसे तो अपन सबको सीसीटीवी दिखांवा, जब अपन ही अपना घर मे चोरी से चोर घुसांवा फेर लुकांवा ही लुकाँवा ! है कि नि 

●दाजी – खूब नाम हो गयो हरदा को, चल छोड़ होटल फोटल होन की बात ख, या बता कि सोयाबीन का भाव को काई हो रह्यो ! 

◆बदामी – जिनने भाव बढ़ाना ह वे तो सब कंसुरे ले रया और सोया पड़ेल ह !  अब किरसान इकट्ठा होक बीन बजाके उनको उठाए तो भाव, ताव खाये ! 

●दाजी – सही है  बदामी ! सोनो 73 हजार रु तोला और पीला सोनो का छे हजार कुंटल नी मिल रया । ये काई न्याय छे !