(मुकेश पांडेय)
प्रदेश संवाददाता/ मकड़ाई एक्सप्रेस
हरदा भोपाल । जी हां ! सुनने में भला अटपटा लगे लेकिन हरदा में ध्वज संहिता के अनुसार ध्वजारोहण (स्वतंत्रता दिवस) की जगह ध्वज फहराया (गणतंत्र दिवस) गया। जबकि नियम अनुसार 15 अगस्त को संहिता के अनुसार ध्वज को धीरे-धीरे रस्सी के सहारे ऊपर ले जाकर फहराया जाता है। वहीं 26 जनवरी को ध्वज को पोल के शीर्ष पर बांधा जाता है। फिर रस्सी खींच कर फहराया जाता है।
हरदा में प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग द्वारा 15 अगस्त के दिन ध्वजारोहण कार्यक्रम में पोल पर शीर्ष में बंधें ध्वज को रस्सी खींच कर फहराया गया। 15 अगस्त को हरदा में मिडिल स्कूल पर जब प्रभारी मंत्री मंच पर आने वाले थे उस दौरान ध्वज पोल के शीर्ष पर बंधा हुआ था। (देखिए तस्वीर) तस्वीर में कलेक्टर व एसपी मंच पर उपस्थित थे।
हैरानी की बात यह है कि राष्ट्रीय कार्यक्रम की तैयारियों के दौरान अहम बातों का ध्यान नहीं रखा गया। देश की आजादी (78 वें) समारोह में ध्वज संहिता के बीच वक्त बीतने के बावजूद जिम्मेदारों को ध्वज संहिता के नियम कायदों को लेकर कोई जागरूकता नहीं हैं।
अब ये चूक अगर ग्राम पंचायत से लेकर प्रदेश की राजधानी और देश की राजधानी तक हुई है तो निश्चित ही ये खेद का विषय है। जिम्मेदारों पर जवाबदेही तय होना चाहिए।
◆ क्या है नियम –
15 अगस्त और 26 जनवरी
15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर होने वाले समारोह में हमारा राष्ट्रीय ध्वज पोल से बांधा जाता है, जो रस्सी के सहारे ऊपर खींचा जाता है और फिर फहराया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहा जाता है। स्वतंत्रता दिवस में ध्वजारोहण को अंग्रेजी में फ्लैग होस्टिंग (Flag Hoisting) कहते हैं।
बात करें 26 जनवरी की, तो इस दिन हमारा तिरंगा पहले से ही पोल के शीर्ष पर बंधा रहता है। फिर डोर के सहारे इसे फहराया जाता है। इसे झंडा फहराना कहते हैं। इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में फ्लैग अनफर्लिंग (Flag Unfurling) कहा जाता है।
◆ क्या कहना है इनका –
● इधर, प्रदेश के जानेमाने आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि नेता- अधिकारीगण, संवैधानिक नियमो के तहत व्यवस्था को सुचारू करने के बजाय फोटो सेशन में ज्यादा रुचि लेते हैं। ऐसे अहम अवसरों पर बाकायदा ट्रेनिंग दी जाना आवश्यक है। दुबे बताते हैं कि सूर्यास्त के पूर्व ध्वज को सम्मानपूर्वक उतारते समय में अधिकारियों की मौजूदगी में बाकायदा तस्वीरें निकाली जाना चाहिए ताकि चूक न हो।
● केदार सिरोही ने कहा कि कलेक्टर साहब को स्वयं के प्रोटोकॉल की खूब चिंता है किन्तु देश के झंडे के प्रोटोकॉल की कोई फ़िक्र नहीं है? क्योंकि दौर ही ऐसा है, जहां दिखावा करो, खूब करो और अपने आप को राष्ट्र भक्त का तमगा लगा लो…
माननीय मंत्री विश्वास सारंग के साथ 15 अगस्त के ध्वजारोहण कार्यक्रम को 26 जनवरी के ध्वज फहराने मे बदल दिया और मंत्री जी ध्वजा रोहण की जगह ध्वज फहरा के चले गए..
लम्बे समय से मंत्री और अपने आप को जानकर मानने वाले कलेक्टर एवं टीम को यह मालूम नहीं था? या अब ध्वजा रोहण एक फॉर्मेलिटी है? जबाब देना होगा
आज पूरे प्रदेश मे भाजपा और प्रशासन के लोग ध्वज का अपमान कर रहे हैं मगर ध्वज उतारते समय किसी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से गलती हो जाती है तो उसे सजा दी जाती है क्या मुख्यमंत्री इस विषय पर संज्ञान लेंगे?
मै क़ानून के जानकारों /आमजन से से आग्रह करूँगा कि इस विषय को गंभीरता से लिया जाए क्योंकि 78 साल के बाद भी आजादी के जश्न पर ध्वजारोहण को गंभीरता से नहीं लिया जाता है तो यह हमारे लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।