वैदिक विद्यापीठम में 4 वेद की 7 शाखाओं का निशुल्क अध्यापन कर रहे हैं 122 बटूक: 24 एकड़ के परिसर में गुरुकुल हो रहा संचालित
हरदा। जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित वैदिक विध्यापीठम गुरुकुल 24 एकड़ भूमि के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। इसकी नीव सन 2014 में रखी गई। शुरुआत में सिर्फ 8 बटुक थे,।
जबकि वर्तमान में यहाँ 122 बटुक निशुल्क अध्यापन कर रहे हैं। इस परिसर में वृहद् यज्ञशाला, तात्कालिक भोजन शाला एवं गौशाला सहित विद्यार्थियों की आवास व्यवस्था हेतु सोलर युक्त लगभग 6000 वर्गफीट आकार के 10 निर्मित भवन पिरामिड रूप में स्वस्त्याकार के हैं। नर्मदा नदी के किनारे स्थित होने के कारण इसका महत्व और बढ़ गया है। सन 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहाँ पर वेद गर्भा घाट का शिलान्याश किया था। जिसका आज मंगलवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव लोकार्पण करेंगे।
स्वामी तिलक वैदिक विद्या समिति के मार्गदर्शक निरंजन शर्मा ने बताया कि सन 2012 में यहीं पर विद्या भारती के कार्यकर्ताओं को एक शिविर आयोजित किया गया था।
जिसमें 2 वर्ष तक गुरुकुल स्थापना को लेकर चिंतन और प्रक्रिया चलती रही। श्री शर्मा इस दौरान विद्या भारती के प्रांत संगठन मंत्री थे और उन्होंने संस्कृत भारती के प्रांत संघठन मंत्री जय प्रकाश गौतम के साथ मिलकर गुरुकुल शुरू करने का निर्णय लिया। सन 2014 में वैदिक विद्यापीठम की शुरुआत आठ बटुकों के साथ हुई और वर्तमान में यहां पर अभी 122 अध्यापन कार्य कर रहे हैं। यहां पर चार वेद की 7 शाखों का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्वामी तिलक जी की संकल्पना थी कि एक गुरुकुल ऐसा स्थापित हो जहां पर वेद आधारित शिक्षा का अध्यापन किया जा सके। श्री शर्मा ने बताया कि स्वामी तिलक जी द्वारा 1974 में ब्राजील में एक ज्ञान मंदिर की स्थापना की गई थी। 50 वर्ष पूर्ण होने पर बीते वर्ष वहाँ स्वर्ण जयंती वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऊर्जा के लिए यहाँ पर करीब 180 किलोवाट का सौर ऊर्जा प्लांट लगाया गया है। जिससे बिजली की खपत बहुत कम हो गई है। बल्कि बिजली विभाग को सरप्लस बिजली बेची जा रही है।
सत्य की खोज में निकले, चिचोट रुके
श्री शर्मा ने बताया कि स्वामी तिलक जी को वैराग्य हो गया था और वह सत्य की खोज में मां नर्मदा के किनारे किनारे चलते जा रहे थे। इसी दौरान वह अचानक बजरंग दास बाबा के आश्रम पहुंचे और यहीं पर रुक गए। बजरंगदास बाबा के आदेश पर 3 साल में भारत भ्रमण किया और केरल में उनसे नित्य चेतन दास महाराज की मुलाकात हुई। ऐसा बताते हैं कि स्वामी तिलक जी ज्ञान योग, बाबा बजरंग दास भक्ति योग और नित्य चेतन दास महाराज कर्मयोगी थे। इन तीनों के त्रिवेणी संगम से हरदा में वैदिक शिक्षा के लिए गुरुकुल स्थापित हुआ।
24 एकड़ भूमि दान
स्वामी नित्यचैतन्यदास महाराज, चिचोटकुटी द्वारा स्वामी तिलक जी के विचारों और इच्छाओं की परिपुष्टता में विद्याभारती को शिक्षा कार्य हेतु 24 एकड़ भूमि आश्रम की दान स्वरूप प्रदान की गई है। इस भूमि पर वर्तमान में एक वृहद यज्ञशाला, तात्कालिक भोजन शाला और गौशाला सहित विद्यार्थियों की आवास व्यवस्था है। जिनमें प्रत्येक भवन में 4 प्रकोष्ठ हैं।
इस प्रकार 40 प्रकोष्ठ और 10 सुविधा घर हैं। यहीं पर वृहद् कार्यक्रमों के लिए नटराज प्रेक्षागृह (ऑडिटोरियम) एवं ध्यान केन्द्र भी निर्मित हैं। भविष्य की योजनाओं में यहाँ पर भोजनालय एवं सभागार, छात्रावास, अतिथि आवास, आचार्य आवास, कर्मचारी आवास, बृहद् पुस्तकालय एवं वाचनालय, विविध खेल मैदान, गौशाला, मंदिर, जैविक कृषि प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केन्द्र, ग्रहगणना हेतु तारामण्डल व यंत्रों का निर्माण, वैदिकविश्वविद्यालय की स्थापना, वैदिक अनुसंधान केन्द्र, आयुर्वेदिक चिकित्सालय, पंचकर्म एवं योग केन्द्र, धनुर्वेद गुरुकुल, संगीत महाविद्यालय, आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना की जाना है।
अनुज के रूप में साथ दे रहे हैं सुजीत शर्मा
इस प्रकल्प के सपने को साकार करने में निरंजन शर्मा के साथ सुजीत शर्मा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। समाज के लोगों के सहयोग से इस प्रकल्प के संचालन में मार्गदर्शन की भूमिका निभाने वाले निरंजन शर्मा का साथ संघ से जुड़े सुजीत शर्मा एक अनुज के रूप में दे रहे हैं। सुजीत शर्मा विद्या भारती के जुड़े और नाँदवा स्थित बजरंगदास कूटी से भी संबंध रहे। ग्रामीण शिक्षा की शुरुआत में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैदिक विद्यापीठ की शुरुआत से लेकर अभी तक वह सचिव की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं।
अक्षय कोष योजना
प्रकल्प के मार्गदर्शक निरंजन शर्मा ने बताया कि वैदिकविद्यापीठम् आत्मनिर्भर बने इसलिए भविष्य में 100 करोड़ का एक अक्षय कोष बनाने की योजना है। इस कोष के ब्याज से ही यह प्रकल्प आत्मनिर्भर बन सदैव चलता रहें। इसके लिए जिले के अलावा अन्य जिले के समाजसेवी भी सहयोग कर रहे हैं।