Mp News: कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल बना आदर्श, भाजपा की आंधी के बाद भी कांग्रेस ने जीतीं छिंदवाड़ा की सारी सीटें
भोपाल : मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं और प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार बन गई है। बीते तीन से चार महीनों की खींचतान के बाद प्रदेश में शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव हो गये। अगर हम इस पूरे चुनाव की बारीकियों पर नजर डालें तो इसमें यह देखने में आया कि प्रदेश में कई ऐसे प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा जिनकी जीत को लेकर न सिर्फ प्रत्याशी बल्कि पार्टी भी पूरी तरह से आश्वस्त थी। वहीं, कई ऐसे प्रत्याशी भी इस चुनाव में जीत का सेहरा बांधने में सफल हुए जो खुद इस बात से भली-भांति परिचित थे कि इस चुनाव में उनकी राह कठिन थी। बात की जाये राजनैतिक पार्टियों की तो चुनाव में दो सक्रिय पार्टियों में से किसी एक ही जीत होती है और एक तो सत्ता गंवाना ही पड़ती है। वैसा ही हुआ। इस बार के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। वहीं, कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ताकतवर पार्टी बनकर उभरी है। वह कांग्रेस कभी बिखरी थी और नेतृत्व की कमी से जूझ रही थी उसे कमलनाथ ने एक धागे में पिरोया। आज कांग्रेस भले ही चुनाव हार गई हो लेकिन प्रदेश में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को ऐड़ी चोटी का दाव लगाने पर मजबूर कर दिया। कमलनाथ का कुशल प्रबंधन और मार्गदर्शन देखने को मिला।
नि:स्वार्थ जनसेवक हैं कमलनाथ –
लोकतंत्र में चुनाव जनसेवा की संवैधानिक प्रक्रिया है। लेकिन सही मायने में देखा जाये तो सच्चा जनसेवक और लोकप्रिय नेता वहीं कहलाता है जिसने नि:स्वार्थ भाव से जनसेवा को अपनाया और उसे पूरे समर्पण के साथ किया। इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि अगर पार्टी सत्ता में नहीं आई या सरकार नहीं बना पाई या कोई प्रत्याशी चुनाव हार जाये तो वह जनहित के कार्यों को करना छोड़ दे, जनता के बीच में जाना छोड़ दें। इस समय पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मन में भी यही विचार आ रहे होंगे। भले ही कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में 15 महीनें ही सरकार चलाई है, लेकिन इन 15 महीनों में जो नींव उन्होंने डाली थी उसके परिणाम आज हमें दिखाई दे रहे हैं। मध्यप्रदेश का विकास, रोज़गार के अवसर, निवेशकों को प्रोत्साहन यह वह क्षेत्र थे जहां कमलनाथ की सरकार ने महत्वपूर्ण फैसले किये। सत्ता जाने के बाद भी कमलनाथ चुप नहीं बैंठे और उन्होंने प्रदेश की जनता से विकास के जो भी वायदे किये थे उन्हें पूरा करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत् रहे।
कुशल प्रबंधक और नेतृत्वकर्ता हैं कमलनाथ –
सत्ता चली जाने के बाद से लेकर विधानसभा चुनाव की तैयारियों और लोगों के बीच कांग्रेस की जो पैंठ कमलनाथ ने बनाई है उसी का परिणाम है कि प्रदेश में ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र हैं जहां कांग्रेस प्रत्याशियों ने सत्ताधारी दल के कैबिनेट मंत्रियों को हराया। किसी भी सत्ताधारी दल के कैबिनेट मंत्रियों का चुनाव में हारना बड़ी शिकस्त की निशानी है। मंत्रियों की शिकस्त कमलनाथ के कुशल प्रबंधन और नेतृत्व क्षमता से संभव हो पाई। कमलनाथ ने पूरी पार्टी के बिखरे हुए नेताओं को पहले एक सूत्र में पिरोया और फिर उन्हें चुन-चुनकर अलग-अलग क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर कार्य करने के लिये प्रोत्साहित किया और मार्गदर्शन दिया। कमलनाथ का सटीक मार्गदर्शन पिछले पांच दशक से भी अधिक समय के राजनैतिक अनुभव का परिणाम था।
छिंदवाड़ा में सेंध नहीं मार पाई भाजपा –
कमलनाथ को छिंदवाड़ा का जनसेवक ऐसे ही नहीं कहा जाता है। वहां के लोगों के जीवन का जीवन रोशन करने के लिये पिछले कई वर्षों से कमलनाथ ने जो कार्य किये हैं उसकी वजह है कि आज वहां के लोग खुशहाल जीवन जी रहे हैं। लोगों के बीच कमलनाथ की लोकप्रियता इस बात से भी जान पड़ती है कि छिंदवाड़ा की सभी सीटों में से एक पर भी भाजपा का कोई नेता सेंध नहीं लगा पाया और कमलनाथ की लोकप्रियता ने वहां भाजपा का सूपड़ा साफ कर दिया। जबकि छिंदवाड़ा को हराने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी थी। गृहमंत्री अमित शाह की रैली हुई थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी रैली की थी। बावजूद इसके बीजेपी कमलनाथ के छिंदवाड़ा को भेद पाने में सफल नहीं हो पायी।
कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल –
कमलनाथ द्वारा बनाये गये छिंदवाड़ा मॉडल की पहचान आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक है। कई देश अथवा राज्य के विश्वविद्यालय के लोग छिंदवाड़ा मॉडल के अंतर्गत हुए कार्यों पर शोध करने आते हैं। कमलनाथ ने प्रदेश के एक राज्य में जो यह कार्य किया है, उसे आने वाली सरकार को अन्य जिलों में भी लागू कर प्रदेश को शीर्ष पर ले जाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल लोकसेवा और विकास का उदाहरण बन गया है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार विजया पाठक