मकड़ाई एक्सप्रेस 24 रायपुर : जंगल सफारी में 17 हिरणों की मौत एक खतरनाक वायरस एफएमडी यानी खुरचपका मुंद चपका से हुई है। राष्ट्रीय रोग अनुसंधान केंद्र बरेली उत्तर प्रदेश से मिली रिपोर्ट यह सत्यापित हुआ है। अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञो के अनुसार यह सामान्यत शाकाहारी खुर वाले मवेशियों में पाया जाने वाला रोग है।
डाक्टरों की विशेष टीम गठित – अनुसंधान केंद्र की जांच रिपोर्ट आने पर जंगल सफारी प्रबंधक की बेचैनी बढ़ गई है। उनके द्वारा यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि आखिर यह वायरस जंगल सफारी तक कैसे पहुंचा । इसके लिए प्रबंधक द्वारा डाक्टरों की विशेष टीम गठित कर दी गई है। ये टीम अब रायपुर के आसपास गांवों में जाएंगे और पता करेंगे कि अभी कौन से गांव में यह वायरस मवेशियों में फैला है। इसके बाद असली वजह सामने आएगी कि सफारी का संबंध गांव से किस तरह से हुई।
एक सप्ताह में 17 हिरणों की मौत – ज्ञात हो कि जंगल सफारी में 25 से 30 नवंबर के बीच 17 हिरणों की मौत होने से प्रबंधकों में हलकान कर रखा था। घटना के बाद से 6 हिरणों को अन्य जगह पर शिफ्ट कर दिया। बिमारी के लक्षण एक नीलगाय में भी नजर आए है। अभी चिकित्सकों का एक दल नजरें जमाए हुए है। जंगल सफारी में प्रबंधक ने विसरा नमूनों को भेजकर देश के विभिन्न जू जैसे नंदन कानन जू, भुवनेश्वर, ओडिशा, कान्हा टाइगर रिजर्व, नंदनवन जू रायपुर, कानन पेंडरी जूलाजिकल गार्डन बिलासपुर में ऐसे ही संक्रामक रोगों से हुई मृत्यु के संबंध में भी वन्यप्राणी चिकित्सकों से जानकारी ली है।
संक्रामक जनित रोग की रोकथाम के आवश्यक उपाय – यहां रोकथाम के आवश्यक उपाय जू प्रबंधक द्वारा किए गए हैं। रोग का संक्रमण फोमाइट्स के माध्यम से एक जानवर से दूसरे जानवर में आपसी संपर्क संक्रमित हुए भोजन.पानी या कई बार मानव या अन्य साधनों से हो सकता है। यह एक संक्रामक जनित रोग है, जिसकी चपेट में कई बार पूरे गांव के मवेशी आ जाते हैं। मुख्य वन्य प्राणी चिकित्सक डा. राकेश वर्मा ने कहा इस रोग की चपेट में आने से पालतू मवेशियों में सबसे ज्यादा नुकसान होता है। मवेशियों में इस रोग के कारण मुंह में और खुर के मध्य गंभीर छाले हो जाते हैं जिससे पशु चलने व खाने पीने में असमर्थ हो जाता है। इससे असमय उनकी मृत्यु हो जाती है।