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रामलीला: माथरा ने कैकई के भरे कान: कैसा है विधि का विधान अजब है निराला तेरा खेल जिसको होना था राजतिलक और हो गया बनवास

रहटगांव – श्री आदर्श रामलीला मंडल फुलडी बालो के तत्वाधान में पंडित शिवदास मातवे द्वारा सुंदर चौपाई के साथ युवाओं ने कैकई दशरथ संवाद और राम वनवास का रोचक मंचन किया जिसमें फुलडी के युवा कलाकारों ने रामचरित्र मानस के आधार पर अपनी कला का प्रदर्शन जमकर किया कैसा है विधि का विधान जिसको होना था राजतिलक और पहुंच गए । वन में राक्षस प्रजाति अधिक होने के कारण महात्मा साधु मुनि अपनी तपस्या करते थे तब अधिक विघ्न होने के कारण सभी देवताओं ने मिलकर पुकार की और सरस्वती माता से पूरी व्यथा सुनाई माता ने भी आशीर्वाद दिया और उनका काम करने में सहायता की राजा दशरथ की तीन रानियां थी ।

कौशल्या केकई और सुमित्रा जिसने सबसे प्रिय रानी राजा दशरथ की केकई थी देवासुर संग्राम में राजा दशरथ लड़ते लड़ते मूर्छित रथ पर हो गए थे, रानी कैकई उनकी चतुराई से राजा को सकुशल वापस अयोध्या ले आई, तभी राजा दशरथ ने प्रसन्न होकर उन्हें दो वरदान दीया रानी कैकई ने कहा कि जब वक्त आएगा मैं यह वरदान आपसे मांग लूंगी केकई की सबसे प्यारी दादी मंथरा ने कैकई के जमकर कान भरे और भगवान राम को वनवास दिलवाने में मंथरा की अहम भूमिका रही।

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समय आने पर राजा दशरथ से कैकई ने वही अपने दो वरदान मांग लिऐ राम लक्ष्मण को वनवास और भरत शत्रुघ्न को राज यह सुनकर राजा ने मना बोला कि आप मुझसे सभी चीज मांग लो लेकिन मेरा सबसे प्रिय आंखों का तारा राम को वनवास मत दो इससे क्रोधित होकर के कई ने त्रिया चरित्र फैलाकर को भवन में चली गई तब यह देखकर राजा दशरथ भी उसे मनाने वह भवन पहुंचे लेकिन रानी के कई ने उनकी एक न सुनी और जिद पर अड़ी रही राजा दशरथ राम के बिना व्याकुल चिंता गहरी सोच में डूबे हुए थे ।

 

उसी वक्त भगवान राम अपने पिता दशरथ के पास पहुंचे और उनसे बोला पिता जी आपका यह दुख का कारण क्या है, मुझे समझाओ राजा दशरथ ने व्याकुलता के साथ पूरा वृत्तांत सुनाया भगवान ने आज्ञा मानी और वन को जाने के लिए तैयार हो गए राम लक्ष्मण और सीता ने तीनों रानियों से विदा ली और एक को जाने के लिए चल दिए आर्य सुमंत ने रथ को सजाया और 1 को जाने के लिए तैयार होकर दिए, अयोध्या के सभी नर नारी भगवान के साथ बन जाने के लिए तैयार हो गए वन में जाते वक्त सब गहरी नींद में सोए हुए थे ।

और भगवान राम लक्ष्मण सहित वन को आगे निकल गए और सबसे प्रिय राजा दशरथ के संबंध पितातुल्य राजाराम ने सुमंत से कहा कि आप पिताजी से ऐसा कुछ मत कहना जिसे पिताजी और अधिक व्याकुल हो गए राम दशरथ कैकई संवाद और राम बनवास का मंचन देख कर रामलीला देखने आई समस्त श्रद्धालु की आंखों नम हो गई और तब-तब आंसू निकल पड़े ऐसी कला ग्राम फुलडी के युवाओं ने मंच पर बखूबी निभाई रामलीला मंडल समिति की ओर से बाहर से आए हुए सभी दर्शकों को एवं ग्रामवासियों का इस कड़कती ठंड में दूरदराज से रामलीला देखने आऐ श्रद्धालुओं, मंच पर भगवान की पूजा अर्चना, एवं समस्त मंडल द्वारा श्रद्धालुओं का आभार माना गया ।