खंडवा: खंडवा से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है। यहां एक मुस्लिम युवक का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों के साथ किया गया। यह युवक थे खंडवा के प्रॉपर्टी कारोबारी रोमी अब्बासी, जो कि लंबे समय से बीमार चल रहे थे और इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।
रोमी अब्बासी का धर्म से रिश्ता मुस्लिम था, लेकिन जीवनशैली और सोच में वो सभी धर्मों को समान रूप से मानते थे। खास बात यह रही कि उनके अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया हिंदू धर्म के अनुसार की गई। उनकी दो बेटियों ने उन्हें कंधा भी दिया और मुखाग्नि भी। यह दृश्य जिसने भी देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।
रोमी अब्बासी ने एक हिंदू महिला से विवाह किया था और उसके बाद उन्होंने हिंदू धर्म को अपने जीवन में पूरी तरह अपनाना शुरू कर दिया था। उनके घर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा-पाठ होता था, मंदिर जाना, धार्मिक अनुष्ठान करना – यह सब उनके जीवन का हिस्सा बन चुका था। उनकी बेटियों के नाम भी हिंदू संस्कृति के अनुरूप रखे गए हैं।
पड़ोसियों और जान-पहचान वालों के अनुसार, रोमी अब्बासी हनुमान जी के भक्त थे और नियमित रूप से मंदिर जाया करते थे। उनकी पत्नी और बेटियाँ भी पूर्ण रूप से धार्मिक संस्कारों का पालन करती हैं। परिवार की यही इच्छा थी कि रोमी का अंतिम संस्कार उसी परंपरा में हो, जिसे वो वर्षों से जीते आ रहे थे।
इस निर्णय में न मोहल्ले वालों ने कोई आपत्ति जताई, न ही परिवार के अन्य सदस्यों ने। सबने मिलकर हरिश्चंद्र मुक्ति धाम में रोमी अब्बासी की अंत्येष्टि हिंदू विधि-विधान से की। बेटियों द्वारा पिता को कंधा देना और मुखाग्नि देना आज एक मिसाल बन गई है, जिससे समाज को यह संदेश मिलता है कि यदि कोई दिल से किसी संस्कृति को अपनाता है, तो उसे पूरा सम्मान मिलना चाहिए।
रोमी अब्बासी की अंतिम यात्रा ने यह साबित कर दिया कि इंसानियत और आस्था किसी एक धर्म की मोहताज नहीं होती। जीवन में जिन संस्कारों को उन्होंने अपनाया, वही उन्हें अंतिम विदाई में भी प्राप्त हुए। खंडवा की ये घटना आज पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है और समाज के लिए एक सकारात्मक सोच का संदेश भी।