अनिल उपाध्याय
खातेगांव: सोमवार को सांध्य बेला में जब सूर्य देवता नित्यानुसार अपनी यात्रा पूर्ण कर अस्तांचल गामी हो रहे थे ठीक उसी समय खातेगांव ही नहीं अपितु घाट नीचे के सबसे योग्य और सबसे लोकप्रिय चिकित्सक माँ नर्मदा के भक्त,बाबा सिद्धनाथ के उपासक,ब्रम्हलीन ब्रम्हचारी महाराज के अनुयायी डॉ रमेशचन्द्र वैद्य साहब भी अपनी जीवन यात्रा पूर्ण कर अपनी आराध्य नगरी नेमावर में माँ नर्मदा के आँचल में पंचतत्वों में विलीन हो रहे थे। उनका आज दोपहर 12 बजे देवलोक गमन हो गया था। महादेव के साधक ने इहलोक का त्याग करने के लिए महादेव के प्रिय सोमवार के दिन को ही चुना।
डॉ वैद्य साहब आजीवन ब्रम्हलीन ब्रम्हचारी महाराज के पदचिन्हों पर अग्रसर रहे। जहाँ ब्रम्हचारी महाराज ने अपनी अलौकिक शक्तियों और अपने दिव्य आशीर्वाद से हमारे क्षेत्र के लोगों का कल्याण कर उनकी भव बाधाएँ दूर कीं वहीं उनके योग्य और कर्मठ शिष्य डॉ वैद्य ने अपने हुनर और अपने चिकित्सकीय कौशल से गत 46 सालों में क्षेत्र के हज़ारों हज़ार लोगों को नवजीवन और स्वास्थ्य की सौगात दी। हम सबने देखा ही है कि जिन हज़ारों मरीजों के परिजन अपने बीमार के जीवन की आस छोड़ चुके थे उन्हें डॉ साहब ने अपने चिकित्सकीय कौशल से खातेगांव में ही पूर्णतः स्वस्थ कर घर भेजा। यही कारण है कि क्षेत्र के लगभग हर घर और हर गाँव में उन्हें श्रद्धा की नज़र से देखा जाता था सैकड़ों परिवारों की तरह वह हमारे भी पारिवारिक चिकित्सक थे और हम सब उन्हें अपने परिवार का अग्रज मानते थे।
कुछ वर्षों पहले अपनी धर्मपत्नी के आकस्मिक निधन से उन्हें गहरा आघात पहुँचा था। जाहिद बेग सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने बताया कि
एक बार मैं और मेरी धर्मपत्नी उनसे चर्चा कर रहे थे। तो उन्होंने अत्यन्त भावुक हो कर कहा था कि-“ज़ाहिद ईश्वर ने मेरे माध्यम से सैकड़ों लोगों को ज़िन्दग़ी प्रदान की पर मुझे अपनी धर्मपत्नी के इलाज़ के लिए 1 मिनट का भी समय नहीं दिया। मुझे थोड़ा सा भी वक़्त मिल जाता तो वो आज भी होतीं।”
स्व डॉ वैद्य के व्यक्तित्व और कृतित्व पर यह पूरा नर्मदा अंचल चिरकाल तक गर्व करता रहेगा।
हमारे लिए संतोष की बात बस यही है कि उनके अत्यंत योग्य और अपने नाम के अनुरूप धर्मप्रेमी सुपुत्र डॉ धर्मपाल वैद्य क्षेत्र की जनता की चिकित्सा और सेवा सुश्रुसा की मशाल को थाम कर अपने पिता के मिशन को उन्ही की तरह गति दे रहे हैं।