मरने के बाद भी स्वर्ग की राह नहीं आसान – भ्रष्टाचारियों की भेंट चढ़ा मुक्ति धाम, उसमें भी कर दिया गड़बड़ झाला
के के यदुवंशी सिवनी मालवा। नर्मदा तट भिलड़िया मे अंत्येष्टि हेतु बनाए गए सेडों मे एक सेड पर टीन नहीं होने के कारण एक ही सेड में अंत्येष्टि करने वाले लोग परेशान हो रहे है और कई घंटे इंतजार करना पड़ता है भ्रष्टाचारियों की भेंट चढ़ गया अंत्येष्टि के लिए बनाए गए सेट में छत पर टीन नहीं एक सेट का ही हो रहा उपयोग लोग करते हैं इंतजार और पंचायत के द्वारा ध्यान नहीं देने से इसकी हालत बद से बस्तर हो गई है पंचायत और नेताओं के कारण नागरिक परेशान है जो मरने के बाद भी इंसान के लिए मुक्ति धाम की व्यवस्था नहीं कर पाए हालात आज भी जस के तस हैं विकास तो छोड़ों, श्मशान घाट ही नहीं है यहां अंतिम यात्रा भी मजबूरियां भरी है
हम बात कर रहे हैं शिवपुर क्षेत्र में जहां की राजनीति प्रदेश तक पहचानी जाती है वहीं पर स्थित ग्राम नर्मदा घाट भिलड़िया मृत्यु के बाद भी स्वर्ग की राह नहीं है। आसान। बरसात में इस तरह अंत्येष्टि करने को विवश ग्राम पंचायत में शमशान घाट बनाने में हुई अनियमितताएं मौत के बाद मरने वाला तो मर जाता है लेकिन साथ में जाने वाले नागरिक परेशान हो जाते हैं गांवों कीचड़ में हालात जस के तस हैं। वहां पर विकास तो छोड़ों, श्मशान घाट ही नहीं है और है भी तो उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब है यहां अंतिम यात्रा भी मजबूरियां भरी है। तमाम मूलभूत सुविधाएं होने का दावा करते हैं लेकिन सच्चाई तो ये है कि यहां मरने के बाद शव को जलाने के लिए श्मशान घाट मुसीबत भारी है खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करते दिख रहे ये लोग किसी दुर्गम क्षेत्र के नहीं विकासखंड के ग्राम पंचायत नर्मदा घाट भिलड़िया यह ग्राम कहने में तो एक अच्छे गांव की श्रेणी में आता है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है।
दरअसल, यहां बने मुक्तिधाम में बिजली-पानी सहित अन्य सुविधाओं की पूर्ति नहीं होने से ग्रामवासियों को परेशानी हो रही है। स्थिति यह है कि मुक्तिधाम में बस टिन शेड लगा दिया वह भी टूट गया है और जो सीमेंट कांक्रीट से चबूतरा बनाया है उसमें भी अनियमितता नजर आ रही है। यही नहीं चिता को रखने के लिए स्टैंड तक पंचायत नहीं बना सकी यही वजह है कि ग्रामीणजन उस शेड में अंतिम संस्कार न करते हुए शेड के नीचे खुले में अंतिम संस्कार करने को मजबूर है मानवीय संवेदनाओं से भरी समस्या के लिए ग्रामीणों ने कुछ नहीं किया। इस संबंध में लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया है, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली और न ही मुक्तिधाम में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। अंतिम संस्कार के दौरान मुक्तिधाम में ग्राम के लोगों को जीवित रहते न तो कोई सुविधा नसीब हो रही है, न ही मृत्यु उपरांत मुक्तिधाम नसीब हो रहा है। इंसान के स्वर्ग जाने का रास्ता भी अब गड्ढों और कीचड़ से भर गया है।
मुक्तिधाम में लंबे समय से सुविधाओं का अभाव
बारिश में जहां बारिश का भय रहता है तो गर्मियों के मौसम में लोग गर्मी का अहसास करते हैं। यह मुक्तिधाम अूधरा पड़ा है, ऐसा नहीं है कि इसके लिए शासन से बजट नहीं आया रुपये मंजूर होने के बाद भी लापरवाही ने धरातल पर कार्य नहीं किया है। जिसका खामियाजा ग्रामवासियों को भुगतना पड़ता है। अगर मुक्तिधाम में जल्द ही सुविधाएं व्यवस्थित नहीं की गईं तो आंदोलन किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
विकासखण्ड में कई जगह यही हालत
ग्राम पंचायतों द्वारा मुक्तिधामों में टीन शेड तो बनवाए जाते हैं, लेकिन अनियमितताओं के चलते कुछ दिनों में ही यह गायब हो जाते हैं। जिन ग्रामों में जो टिनशेड बनाए गए हैं उनमें से अधिकांश के चद्दर उड़ चुके हैं या फिर बाउंड्रीवाल गिर चुकी है। श्मशान घाटों में टिन शेड न होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीणों को बरसात में होती है। बारिश के मौसम में लोगों को अंतिम संस्कार करने के लिए बारिश खुलने का इंतजार करना पड़ता है या फिर अस्थायी टिन शेड बनाना पड़ता है। बरसात में ऐसे मामले आए दिन सामने आते हैं। इसके बाद भी यहां टिन शेड की मरम्मत नहीं की गई है और न ही नए शेड बनाए जा रहे हैं। इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारी और नेताओं से बात करते हैं तो रटा रटाया बस एक ही जबाव मिलता है हमारी जानकारी में नहीं है हम दिखवाते हैं।