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अंतिम संस्कार की तैयारियों के बीच जिंदा हुआ सात साल का मासूम, अस्पताल ने मृत समझ भेज दिया घर

दिल्लीशरीर में हलचल देखकर उसे रोहतक के अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद वह स्वस्थ होकर घर लौट आया। मोहल्ले के लोगों को यकीन नहीं हो रहा है लेकिन बच्चे के जिंदा होने से परिवार समेत सभी काफी खुश हैं।
दिल्ली के एक अस्पताल में मृत घोषित किए गए बच्चे ने फिर से सांस लेना शुरू कर दिया

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कुणाल को टाइफाइड था। अस्पताल ने शव को पैक कर पिता हितेश व मां जाह्नवी को सौंप दिया। परिजन की हालत खराब थी और वे शव को घर ले आए। मां जाह्नवी उस वक्त बुरी तरह रो रही थीं जब उनके कलेजे का टुकड़ा निकल गया था और उनका बेटा कांपते हुए वापस आने को कह रहा था।
मंगलवार को छुट्टी मिलने के बाद घर लौटा बच्चा

परिवार का दावा है कि कुणाल के शरीर में कुछ हलचल थी। पिता हितेश और एक पड़ोसी ने मिलकर कुणाल को सीपीआर देना शुरू किया। इसके बाद कुणाल की सांसें चलने लगीं। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था। असहाय परिजन कुणाल को रोहतक के अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने कुणाल के बचने की सिर्फ 15 फीसदी उम्मीद जताई थी, लेकिन धीरे-धीरे वह पूरी तरह से ठीक हो गया और मंगलवार को घर पहुंच गया।

मौत को मात देकर जिंदा सात साल के मासूम के लिए लोगों को चमत्कार माना जा रहा है

दरअसल 20 दिन पहले डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। लेकिन घर ले जाने के बाद उस बच्चे की सांस फिर चलने लगी। जिसके बाद उन्हें रोहतक के अस्पताल में भर्ती कराया गया और वह घर वापस आ गए।जहां एक दंपत्ति के बेटे को टाइफाइड हो गया था। जिसे इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था। लेकिन 26 मई को डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद परिजन बहादुरगढ़ लौट गए। और उनके अंतिम संस्कार की सारी व्यवस्था कर दी गई।

पैक बॉडी में लग रहा है

बच्चे की मौत के बाद उसकी मां का रोना रो पड़ा। वह बच्चे को हिलाने के लिए बुला रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ देर बाद बच्चे में कुछ हरकत हुई। उसके बाद पिता हितेश ने अपने बच्चे की सांस ली और पड़ोसी सुनील ने बच्चे के सीने पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। और बच्चे की सांस चलने लगी।’

जिसके बाद परिजन तुरंत रोहतक के अस्तल पहुंचे

जहां डॉक्टरों ने बच्चे के बचने की सिर्फ 15 फीसदी उम्मीद जताई थी। लेकिन इलाज के बाद बच्चा ठीक होने लगा और वह मंगलवार को घर पहुंचकर घर पहुंच गया, परिजन इसे चमत्कार बता रहे हैं। संतान का अधिकार होना ही खुशी का माहौल है।