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Kisan किसान आंदोलन : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार पर दबाब

रविवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक होनी है।

इन सबके बीच इस मामले में राजनीति भी जारी है।

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 नई दिल्ली। वर्तमान में देश में सबसे ज्यादा अगर चर्चा हो रही है, वह किसान आंदोलन है। ज्ञात हो कि देश में किसानों ने जब जब आंदोलन किए उनकी हमेशा यही मांग रही है,कि फसलों की खरीद दर बढ़ाओं और खाद,बिजली की कीमत घटाओं फसलों का दाम बढ़े यही मांग को लेकर आंदोलन होते रहे है।

गरीब के घर आटा तो महंगा पहुंचा

किसानों की अपनी समझ और समस्या है मगर आम आदमी जो अनाज खरीदता है उसके जेब पर क्या असर होगा यह भी सरकार को सोचना हैं। आज हम बात करें तो मप्र में गेंहू सहित अनाज की कीमत कितनी बढ़ गई हैं। इसके बाद भी लोगो को सरकार की योजनाओं से घर का राशन मिल रहा है। गरीब के घर पर गेंहू का आटा 30 से 32 रुपये किलो पहुंच रहा हैं। किसानों की समस्या तो अपनी जगह उचित हैं पर ये आने वाले समय के लिए हर सरकार के लिए दुखदायी होती रहेगी।

लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर सरकार पर दबाब

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आगामी लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर नेता किसानों को लुभाने के लिए उनकी मांगे को जायज ठहरा सकते हैं और फसलों की खरीद दर को बढ़ावा देगें मगर एक बार किसानों के अलावा दूसरे लोग है उनके बारे में सोचिए। जो किसान आंदोलन कर रहे है उनमें कम रकबा वाले किसान ज्यादा है। ज्यादा जमीन वाले किसान कम संख्या में है तो फायदा गरीब खेतीहर किसान को नही होगा। उसे तो हर वस्तु महंगी पडे़गी। वह नाम का किसान है हर जरुरत की वस्तुएं तो महंगी मिलेगी।

फार्मूला ऐसा हो कि गरीब से गरीब किसान की आय बढ़े

देश की अर्थव्यवस्था में खेती का योगदान करीब 17 प्रतिशत ही है मगर इसके लिए काम कर रहे लोग बहुत ज्यादा है। जबकि हम अन्य देशों की बात करें तो वहां पर खेती ज्यादा और आबादी कम है। इसलिए हमारे यहां पर महंगाई आसमान छू रही हैं। क्योकि रुपया हमेशा साधन संपन्न लोगो पास जा रहा है। पंजाब हरियाणा के छोटे किसान सुविधाओं का लाभ भी ले पाते है। बडे़ किसान अपने राजनीति रसूख के चलते बैंक व अन्य साधनों से छोटे किसानों की फसलों पर भी पैसा बना लेते हैं।
सरकार का  फार्मूला ऐसा हो कि गरीब से गरीब किसान की आय बढ़े और वह विकास की मुख्य धारा में आ सकें।

आंदोलन  में असमाजिक तत्व 

अभी जो विडियों किसान आंदोलन के दौरान आ रहे हैं ऐसा लग रहा है कि किसान आंदोलन की आड़ में असमाजिक तत्व घुस आए है तोड़ फोड़ कर रहे है। यह देश का किसान अपने देश की संपत्ति को नुकसान नही पहुंचायेगा तो फिर यह कौन लोग है | जो इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम दे रहे है। सरकार को इस आंदोलन को हलके में नही लेना चाहिए। किसानों के संगठन में जो लोग है उनसे चर्चा और जायज मांगो को मानी जाए।