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कोरोना काल में किसान बने रोजगार का जरिया- कमल पटेल

कृषि वैज्ञानिकों की क्षेत्रीय ऑनलाइन वर्कशॉप का शुभारंभ, कहा स्वावलंबी गांव, स्वावलंबी किसान ही भारत की पहचान

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हरदा – : । कोरोना काल में जब सब लॉकडाउन था तब किसान रोजगार का जरिया बने। किसानों ने हजारों मजदूरों को काम देकर पैसा कमाने का अवसर दिया। देश के जाट नेता कृषि मंत्री कमल पटेल ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय ऑनलाइन वर्कशॉप में सम्मिलित कृषि वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि नानाजी देशमुख ने स्वावलंबी गांव और स्वावलंबी किसान का जो प्रयोग करके दिखाया था उसे पूरे प्रदेश में लागू करना हम सबकी प्राथमिकता होना चाहिए।
कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम “आत्मनिर्भर भारत” अभियान को सफल बनाने में कृषि वैज्ञानिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों के अनुभव और मार्गदर्शन से कृ‍षक आत्मनिर्भर और समृद्धशाली बनेंगे, जिससे देश-प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। मंत्री श्री पटेल ने प्रदेश में गेहूँ के रिकार्डेड उत्पादन और उपार्जन के लिये कृषकों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अब सभी को मिलकर किसानों के स्वाबलंबन और सशक्तिकरण के लिये प्रयास करना है। किसानों को नई किस्मों के बीज, गुणवत्तापूर्ण खाद और दवाईयाँ उपलब्ध कराना है। प्रदेश के किसान अत्यधिक परिश्रमी हैं। बेहतर गुणवत्तापूर्ण खाद, बीज और दवाईयों से उत्पादन बढ़ेगा और किसान समृद्धशाली होंगे। किसान आत्मनिर्भर बनेंगे तो क्रमश: गाँव, प्रदेश और देश आत्मनिर्भर होगा। उन्नत कृषि से देश शक्तिशाली और समृद्धशाली बनेगा।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में खेती-किसानी ने ही गॉवों में रोजगार उपलब्ध कराने का कार्य किया है। कृषि ही वह क्षेत्र है जिसके सशक्त होने पर अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। उन्होंने चित्रकूट में नानजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां पर खेती में किये गये प्रयोगों की सफलता अनुकरणीय है। इसका प्रयोग प्रदेश में कृषकों को समृद्ध बनाने में किया जायेगा।