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जनजातीय गौरव दिवस पर विशेष : गत 15 वर्षो में प्रदेश में जनजाति समाज के उत्थान को मिली नयी उड़ान

मकड़ाई समाचार हरदा। मध्यप्रदेश में जनजातीय समाज को अपने प्रदेश का गौरव होने का सम्मान बीते डेढ़ दशकों में हासिल हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने जनजाति समुदाय की चिंता की और उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। जनजाति समुदाय के लिए गंभीर शिवराजसिंह सरकार ने जनजातीय कार्य विभाग के बजट में 948 प्रतिशत की वृद्धि की है। वर्ष 2003-04 में यह बजट मात्र 746.60 करोड़ था जो 2020-21 के लिए 8085 करोड़ किया गया।

भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में मनाया जा रहा जनजातीय गौरव दिवस सभी जनजातीय योद्धाओं को समर्पित है। भीमा नायक, टंट्या मामा, खाज्या नायक, संग्राम शाह, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, रानी दुर्गावती, बादल भोई, राजा भभूत सिंह, रघुनाथ मंडलोई भिलाला, राजा ढिल्लन शाह गोंड, राजा गंगाधर गोंड, सरदार विष्णुसिंह उइके जैसे अनेक चिंहित और गुमनाम वीर शहीदों को मध्यप्रदेश पुष्प सुमन अर्पित करता है। जनपदीय क्षेत्रों के वीरों को तो हम खूब जानते हैं लेकिन जंगलों में रहने वाले इन जनजातीय नायकों की वीरता और उनके त्याग के कारण ही आज हम सब स्वतंत्र हैं। समाज का दायित्व है कि ऐसे वीर नायकों का हम स्मरण करें और भावी पीढ़ी को उनके उत्सर्ग के बारे में बतायें तथा राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत करें। उल्लेखनीय है कि स्वाधीनता संग्राम का 75वां वर्ष मनाया जा रहा है।

जनजाति नायकों के आदर्श एवं बलिदान से समाज को प्रेरणा मिले, इस दृष्टि से मध्यप्रदेश के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित बादल भोई आदिवासी संग्रहालय परिसर का निर्माण छिंदवाड़ा में किया जा रहा है। इस संग्रहालय के निर्माण में करीब 30 करोड़ का व्यय होगा। राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह के बलिदान की स्मृति में जबलपुर में 5 करोड़ की लागत से स्मारक का निर्माण किया जा रहा है। इसी तरह विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय के लिए उनकी संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए छिंदवाड़ा में भारिया जनजाति, डिंडोरी में बैगा एवं श्योपुर में सहरिया जनजाति के लिए सांस्कृतिक संग्रहालय की स्थापना की जा रही है। इन सांस्कृतिक संग्रहालय की परिकल्पना अनूठी है और संभवतः देश में पहली बार इस तरह की स्थापना की जा रही है। विशेष पिछड़ी जनजाति के सामाजिक कार्यों के लिए 50 सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया जा रहा है।

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मुख्यमंत्री श्री चौहान की चिंता में पांच वर्ग प्राथमिकता से रहे हैं, महिलाएँ, बच्चे, किसान, जनजाति और बुजुर्ग। डेढ़ दशक से अधिक समय में इन वर्गाे के लिए अनेक योजनाओं का निर्माण कर उन्हें न केवल खुशहाल बनाने की कोशिश की गई है बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का सद्प्रयास भी किया गया है।

जनजाति समुदाय के लिए शिवराजसिंह सरकार ने सर्वप्रथम शिक्षा का माकूल बंदोबस्त किया। इस समुदाय के जिन बच्चों ने कभी स्कूल की देहरी नहीं देखी थी या दो-चार क्लास पढऩे के बाद घर बैठ गए थे, आज उन्हीं में से बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। सात समुंदर पार जाकर नाम रोशन कर रहे हैं। इन बुलंद हौसले वाले बच्चों की कहानी मध्यप्रदेश को गौरवांवित करती है। शिवराजसिंह सरकार ने यूपीएसी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग कक्षाओं की शुरूआत की। पहले वर्ष 60 विद्यार्थियों को कोचिंग की सुविधा दी गई और विद्यार्थियों के रूझान को देखते हुए सरकार ने 100 सीटें कर दी। इसी तरह इस समुदाय के विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कॉलरशिप देने की योजना का आरंभ किया गया। आरंभ में 10 विद्यार्थियों को विदेश अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति देने का प्रावधान था जिसमें वृद्धि कर 50 कर दिया गया। कक्षा एक से लेकर पी-एचडी तक स्कॉलरशिप देकर सरल एवं लाभकारी बनाया गया जिससे विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।

शिक्षा के प्रति जनजाति समूह के विद्यार्थियों के लिये जेईई आईआईटी, एम्स, एनडीए, क्लेट से एनएलआईयू के लिए 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। साथ में नीट मेडिकल कॉलेज, जेईई एनआइटी, आईएचएम, एनआईएफटी एवं एफडीडीआई के लिए प्रत्येक को 25 हजार की राशि प्रोत्साहन स्वरूप दी जाती है। शिवराजसिंह सरकार की नवीन आकांक्षा योजना में राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए चार संभागीय मुख्यालयों यथा भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं ग्वालियर पर कोचिंग की व्यवस्था आरंभ की गई है। प्रत्येक केन्द्र पर इंजीनियरिंग हेतु 200, मेडिकल के लिए 100 और क्लेट हेतु 100 विद्यार्थियों को सुविधा दी जा रही है। कक्षा 11वीं एवं 12वीं में अध्ययन के साथ-साथ आवासीय सुविधायुक्त दो वर्षीय प्रशिक्षण प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से दिया जा रहा है। विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं के लिए प्रदेश के छिंदवाड़ा, शहडोल, मंडला, शिवपुरी एवं श्योपुर में कम्प्यूटर कौशल केन्द्रों की स्थापना की जा रही है।

मध्यप्रदेश सरकार का क्रांतिकारी फैसला जनजाति समुदाय को साहूकारों से मुक्त कराना है इसी उद्देश्य से मध्यप्रदेश अनुसूचित जनजाति साहूकार विनियम 1972 को और अधिक प्रभावी बनाकर साहूकारों के लिए लायसेंस लेना अनिवार्य करने के साथ ब्याज की राशि निर्धारित की जा चुकी है और निर्धारित ब्याज राशि से अधिक लेने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। जनजातीय परिवारों को अधिकतम सुविधा देने की दृष्टि से राज्य सरकार ‘‘राशन आपके द्वार’’ योजना शुरू कर रही है।