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जिले में नरवाई जलाने पर लगा प्रतिबंध, धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी

मकड़ाई समाचार हरदा। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ऋषि गर्ग ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 अंतर्गत आगामी तीन माह के लिये हरदा जिले की भौगोलिक सीमाओं में खेत में खड़े गेहूँ के डंठलों अर्थात नरवाई एवं फसल अवशेषों में आग लगाये जाने पर प्रतिबंध लगाया है। आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जावेगी।

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कलेक्टर श्री गर्ग ने बताया कि जिले में रबी फसल की कटाई के पश्चात अगली फसल के लिये खेत तैयार करने हेतु कृषकों द्वारा अपनी सुविधा के लिये खेत में आग लगाकर गेहूँ के डंठलों को जलाया जाता है। नरवाई में आग लगाने के कारण विगत वर्षाे में गंभीर स्वरूप की अग्नि दुर्घटनाएं घटित हुई है, जिसके कारण जन, धन एवं पशु हानि हुई है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण विभाग द्वारा अधिसूचना अंतर्गत नरवाई में आग लगाने वालों के विरूद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति के लिये दण्ड का प्रावधान किया गया है, जिसके तहत 2 एकड़ तक के कृषकों को 2500 रूपये का अर्थदण्ड प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ तक के कृषकों को 5 हजार रूपये प्रति घटना तथा 5 एकड़ से बड़े कृषकों को 15 हजार रूपये प्रति घटना अर्थदण्ड का प्रावधान है।

नरवाई जलाने से भूमि में होने वाले नुकसान
कलेक्टर श्री गर्ग ने खेत में नरवाई जलाने से होने वाले नुकसान के बारे बताया कि खेत में नरवाई जलाने से असंख्य सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, फंगस, सहजीविता निर्वहन करने वाले सूक्ष्म लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते है, जो कि भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता में सहायक होते है। नरवाई जलाने से खेत की उर्वरता में गिरावट आ रही है, जिससे फसल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। कलेक्टर श्री गर्ग ने बताया कि खेतों में विद्यमान नरवाई एवं फसल अवशेष, मृदा में विद्यमान माइक्रोफ्लोरा द्वारा अपघटित होकर जैविक खाद में परिवर्तित हो जाते है, जो कि खेत की मिट्टी के ह्यूमस में वृद्धि करते है और इस प्रकार मृदा की उर्वरता एवं उत्पादकता निरन्तर बनी रही है। नरवाई में आग लगाने से मिट्टी इस लाभ से वंचित रह जाती है। नरवाई जलाने से भूमि की जल भरण क्षमता एवं बाये गये बीज की अंकुरण क्षमता भी प्रभावित होती है।