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देहरादून न्यायालय से 3 साल की सजा प्राप्त प्रेमनगर थाने के पूर्व हिस्ट्रीशीटर ने किया उच्च न्यायालय का रुख

आचार्य संदीपन ब्यूरो

मकड़ाई समाचार नई दिल्ली/ देहरादून देहरादून की निचली अदालत द्वारा वर्ष 2016 में जिस पूर्व हिस्ट्रीशीटर वेद प्रकाश गुप्ता को वर्ष 1994 के 504/ 506 केस में फर्जी जानती खड़ा करके जमानत लेने के आरोप में 3 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। उस मामले में दिसंबर 2022 में सेशन कोर्ट द्वारा भी उक्त *पूर्व हिस्ट्रीशीटर की अपील पर सजा को बरकरार रखा गया था। वेद गुप्ता* के साथ ही इसके फर्जी जमानती को भी 3 साल की सजा और पांच पांच हजार का जुर्माना भी दोनो पर लगाया गया था।

बताया जा रहा है कि सेशन कोर्ट के फैसले के विरुद्ध अब ये *पुराना हिस्ट्री शीटर* नैनीताल हाई कोर्ट पहुंच गया है और अपनी सजा निरस्त करने की गुहार लगाई है।

29 बरस पुराना है मामला

कहते हैं कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और अपराधी चाहे जितना भी चालक क्यूं न हो एक न एक दिन कानून की गिरफ्त में आ ही जाता है। वेद गुप्ता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
दरअसल ये मामला 1994 का है। वर्ष 1994 के एक मामले में मुख्य आरोपी वेद प्रकाश गुप्ता  द्वारा अपनी जमानत के लिए फर्जी व्यक्ति को 10 अक्टूबर 1994 में कोर्ट में पेश कर जमानत ली गई थी।ऐसे में कोर्ट ने अपीलकर्ता की सुनवाई पर निचली अदालत द्वारा दिए गए *मुख्य आरोपी वेद प्रकाश और फर्जी जमानती हरिप्रसाद को तीन-तीन साल की सजा और 5-5 हजार के जुर्माने के फैसले को बरकरार रखा था।

वेद प्रकाश गुप्ता ने कोर्ट को गुमराह कर ली थी जमानत

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इस मामले में *शासकीय अधिवक्ता राजीव गुप्ता* द्वारा मीडिया को दी गई जानकारी के मुताबिक, 1994 में *मुख्य आरोपी वेद प्रकाश के खिलाफ कोतवाली में धारा 504, 506 (गाली गलौज और जान से मारने की धमकी) का मुकदमा* दर्ज किया गया था। इस कानूनी कार्रवाई में लगातार कोर्ट सुनवाई के बाद *अभियुक्त वेद प्रकाश ने 26 अक्टूबर 1994 में कोर्ट के समक्ष किशन लाल नाम के व्यक्ति के फर्जी कागज लगाकर किशन लाल की जगह हरिप्रसाद नाम के व्यक्ति को जमानती बनाकर जमानत ले ली*।इस मामले में द्वितीय पक्ष शिकायतकर्ता द्वारा कोर्ट को सबूतों द्वारा अवगत कराया गया। जिसकी सुनवाई करते हुए वर्ष 2016 को मुख्य अभियुक्त वेद प्रकाश गुप्ता व फर्जी जमानती हरिप्रसाद को दोषी करार देकर तीन तीन साल की सजा और 5-5 हजार का आर्थिक जुर्माना लगाया गया। जुर्माने की राशि अदा न करने पर तीन-तीन माह की अतिरिक्त सजा* भुगतने का आदेश दिया उधर सजा आदेश के बाद मुख्य अभियुक्त वेद प्रकाश गुप्ता द्वारा अपर सत्र न्यायाधीश में अपील की गई थी। जिसकी सुनवाई लगातार चल रही थी। मामला कोर्ट में विचाराधीन था, इसलिए आरोपी को सजा नहीं हुई। इसी क्रम में अपर सत्र न्यायाधीश महोदय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य अभियुक्त वेद प्रकाश गुप्ता और फर्जी जमानती हरि प्रसाद को अदालत के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में दोषी करार देते हुए 2016 में निचली अदालत द्वारा दिए गए तीन-तीन साल सजा और आर्थिक दंड को को बरकरार रखा गया था।

परिजन ने कहा , आदतान अपराधी है वेद प्रकाश गुप्ता

हम आपको बता दें कि  ये वही वेद गुप्ता है जिसने देहरादून के सरकारी वकील अशोक उभान को रिश्वत मामले में जेल भिजवाया था और अभी कुछ महीनों पहले देहरादून संपत्ति विभाग के दो कर्मचारी भी इसकी शिकायत पर सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए थे। सूत्रों के मुताबिक ये व्यक्ति खुद को कभी पत्रकार तो कभी वकील बताता है। पूर्व में इसके कारनामों की वजह से पुलिस ने प्रेमनगर थाने में इसकी हिस्ट्रीशीट भी खोली थी जिसकी कई दशक बाद निगरानी बंद की गई। बताए जाता है कि इसने जुगाड करके सरकारी गनर भी हासिल कर लिया था जिसे बाद में वापस ले लिया गया। वेद प्रकाश गुप्ता के खुद के परिजन भी कहते हैं कि ये एक आदतन अपराधी है और मोटर चोरी से लेकर गोली चलाने तक के अपराधों में शामिल रहा है। ये हम नही बल्कि इस पूर्व हिस्ट्रीशीटर के बेहद निकट परिजन ने हमे बताया।

काम के लिए घर बुलाकर बंधक बनाने का भी है आरोप*

आपको बता दें की इसके द्वारा एक बिजली मैकेनिक को अपने घर में काम के लिए बुलाकर उसे *डरा धमका कर बंधक बनाने और काम के पैसे देने का आरोप भी एक व्यक्ति ने लगाया था।* इसके खौफ का आलम ये है कि इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत करने से भी पीड़ित बचता है। बिजली मैकेनिक भी रो धो कर घर बैठ गया। लेकिन अब वो मैकेनिक भी नैनीताल हाई कोर्ट का रुख करने का मन बना रहा है।

मानवाधिकार आयोग में दाखिल किए हैं 10 से अधिक मामले
आपको जानकर हैरानी होगी कि सेशन कोर्ट से सजा प्राप्त ये मुजरिम पुलिस प्रशासन और मीडिया को दबाव में लेने के लिए मानवाधिकार आयोग का रुख करता है। हमे इसके कारनामों का जो चिट्ठा मिला है उसमे इसके अपराधों के अलावा इसके द्वारा खुद को बचाने के लिए और निर्दोष साबित करने के लिए दबाव की नीति के तहत मानवाधिकार आयोग में इसके द्वारा अपने और अपने परिजनों के नाम से की गई कई शिकायतों की लिस्ट भी मिली है। जिनमे से अधिकतर को डिस्पोज कर दिया गया है।

बहुत जल्द हम प्रेमनगर पुलिस स्टेशन ,देहरादून के हिस्ट्री शीटर रहे वेद प्रकाश गुप्ता के सभी अच्छे बुरे कारनामों को आपके सामने रखेंगे।