मकड़ाई समाचार हंडिया।मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप मां स्कंदमाता का है,और इन्हें कुमार कार्तिकेय जी की माता के रूप में भी जाना जाता है,मां स्कंदमाता की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है,नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है,स्कंद कुमार कार्तिकेय जी की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है, भगवान स्कंद बाल रूप में इनकी गोद में विराजित हैं, स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं,जिनमें माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है,उनकी एक भुजा उपर की ओर उठी हुई है,जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं,और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद जी को पकड़ा हुआ है, सिंह इनका वाहन है,इन्हें पद्मासना भी कहा गया है,
स्नेह की देवी हैं मां स्कंदमाता,,,,,,,,,पंडित श्री अभिषेक शर्मा
पंडित श्री अभिषेक जी शर्मा ने बताया कि भगवान कार्तिकेय जी को देवताओं का सेनापति माना जाता है और माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है,जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करतीं हैं,स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है,