अखिलेश मालवीय मकड़ाई समाचार रहटगॉव। विवाह की उमर है कमाई की उमर नौकरी खेती दुकान पेंशन की उमर है, पर पाप की कोई उमर नही होती वह किसी भी उमर मे हो जाता है। हम हर कर्म साबधानी से करे मौत उमर को नही देखती तो हम भजन मे उम्र क्यो देखे भगवान की कथा मे छपा कुछ है और छुपा कुछ है। हम चिंतन करके जो गूढ रहस्य छुपा है। उसे समझे समुद्र मंथन की कथा हो या राम कृष्ण जी का जीवन काल हो सारी लीलाओ मे जो गूढ रहस्य छुपा है। वह मंथन करने से ही समझ सके भजानानंदी लोग जगत यदि बजनदार लोगो की सुनता है तो जगदीश्वर भी भजनदार लोगो की सुनता है। कलियुग मे मक्खन नही तो मन लेकर कृष्ण के द्वार जाऐ हम पूँजी किसी की भी उपयोग कर सकते है। पर पुण्य तो हमारा स्वयं का ही होना चाहिऐ हम भगवान से जुडकर जितनी जल्दी हो सके पुँजी का पुण्य वनाऐ। ईश्वर का दिया होगा तो घर मे भी दिया जलेगा या दिया है तो दिया जलेगा हम ईश्वर को कम पर ईश्वर से ज्यादा चाहते है। हमारे जितनी संपत्ति है उतनी ही भक्ति होना चाहिऐ। कथा के चौथे दिन बडी संख्या मे श्रद्धालुओ ने भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव बडी धूमधाम से मनाया गया।
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