मकड़ाई समाचार ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में राजमाता विजयाराजे सिंधिया को वात्सल्य की प्रतिमूर्ति बताया। उन्होंने कहा कि 12 अक्टूबर को विजयाराजे सिंधिया का जन्म शताब्दी वर्ष के समारोह का समापन होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम कन्याकुमारी से कश्मीर एकता यात्रा लेकर निकले थे। डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के नेतृत्व में यात्रा चल रही थी। दिसंबर, जनवरी कड़ाके के ठंड के दिन थे। हम रात को करीब बारह-एक बजे, मध्य प्रदेश के शिवपुरी पहुंचे, निवास स्थान पर जा करके, क्योंकि, दिन-भर की थकान होती थी, नहा-धोकर के सोते थे और सुबह की तैयारी कर लेते थे। करीब 2 बजे होगी, मैं नहा-धोकर के सोने की तैयारी कर रहा था, तो दरवाजा किसी ने खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला तो राजमाता साहब सामने खड़ी थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा, कड़ाके की ठंड में राजमाता साहब को देखकर के मैं हैरान था। मैंने मां को प्रणाम किया, मैंने कहा, मां आधी रात में, उन्होंने कहा कि नहीं बेटा आप ऐसा करो गर्म दूध पीकर सो जाइए। हल्दी वाला दूध वो खुद लेकर आईं थी। दूसरे दिन मैंने देखा कि वो सिर्फ मुझे ही नहीं हमारी यात्रा की व्यवस्था में जो 30-40 लोग थे, उसमें ड्राइवर भी थे और भी कार्यकर्ता थे, हर एक के कमरे में जाकर के खुद ने रात को 2 बजे सबको दूध पिलाया। मां का प्यार क्या होता है, वात्सल्य क्या होता है, उस घटना को मैं कभी नहीं भूल सकता हूं। यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे महान विभूतियों ने हमारी धरती को, अपने त्याग और तपस्या से सींचा है। उन्होंने कहा कि हम सब मिल करके, एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जिस पर इन महापुरुषों को गर्व की अनुभूति हो। उनके सपने को अपने संकल्प बनाएं।