मकड़ाई समाचार छत्तीसगढ़ | राजधानी रायपुर में वैसे तो चारों दिशाओं में भगवान भोलेनाथ के अनेक प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, लेकिन ऐतिहासिक मंदिरों में ऐतिहासिक बूढ़ातालाब के सामने स्थित बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने की विशेष महत्ता है। इन मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन माह में दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि में 24 घंटे मंदिर में भक्ति-उल्लास छाया रहता है। रायपुर के इस प्रमुख मंदिर के बारे में विशेष जानकारी दे रहे हैं|
किसी समय शहर के सबसे आखिरी छोर में खोदवाया गया बूढ़ातालाब वर्तमान में शहर का हृदय स्थल बन चुका है। इस तालाब का नाम आदिवासियों के देवता बूढ़ादेव के नाम पर बूढ़ातालाब रखा गया था। ऐसी मान्यता है कि तालाब के किनारे शिवलिंग था। उसके आसपास नागों का वास था और हमेशा नाग शिवलिंग से लिपटे रहते थे। बूढ़ा तालाब के किनारे होने से शिवलिंग का नाम बूढ़ेश्वर महादेव पड़ गया। तालाब के किनारे ही छोटा-सा मंदिर बनवाकर शिवलिंग की प्रतिष्ठा की गई। सैकड़ों साल पुराने मंदिर का नवनिर्माण लगभग 70 साल पहले पुष्टिकर ब्राह्मण समाज ने करवाया।छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में वैसे तो चारों दिशाओं में भगवान भोलेनाथ के अनेक प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, लेकिन ऐतिहासिक मंदिरों में ऐतिहासिक बूढ़ातालाब के सामने स्थित बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने की विशेष महत्ता है। इन मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन माह में दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि में 24 घंटे मंदिर में भक्ति-उल्लास छाया रहता है।