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बोनी करने से पहले बीज को कीटनाशक व फफूँदनाशक से उपचारित करें- उपसंचालक चन्द्रावत

उपसंचालक कृषि श्री चन्द्रावत ने किसानों से की अपील

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मकड़ाई समाचार हरदा। जिले में चना एवं गेहँू की बोनी का कार्य तीव्र गति से चल रहा है। वर्तमान में जिले में लगभग 54500 हेक्टयर में चना एवं 30250 हेक्टयर में गेहँू की बोनी का कार्य संपन्न हो चूका है एवं क्षेत्र में बोनी का कार्य निरंतर प्रगति पर है। उपसंचालक कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग एम.पी.एस. चन्द्रावत ने किसान भाईयों से अनुरोध किया है कि, बोनी करते समय बीज को बीजोपचार औषधि यथा फफूँदनाशक एवं कीटनाशक से उपचारित करें, बोनी के पूर्व नाइट्रोजन स्थिरीकारक बैक्टेरिया कल्चर तथा पी.एस.बी. कल्चर से उपचारित करके ही बोयें, एक वर्ष के अंतराल से प्रति हेक्टयर 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट का उपयोग करें तथा सल्फरयुक्त उर्वरकों का भी प्रयोग करें, क्योंकि दलहन उत्पादन के लिए सल्फर एक आवश्यक कारक होता है।
उपसंचालक कृषि चन्द्रावत ने सलाह दी है कि नत्रजन, स्फूर एवं पोटाश तत्वो की प्रतिपूर्ति के लिए सुझाए गए विभिन्न उर्वरकों के विकल्पों जैसे – यूरिया+सिंगलसुपर, फॉस्फेट+म्यूरेट ऑफ पोटाश अथवा यूरिया + डी.ए.पी. + म्यूरेट ऑफ पोटाश अथवा यूरिया + एन.पी.के. कॉम्प्लेक्स (12ः32ः16 या 14ः35ः14 या 20ः20ः0ः13) + आवश्यकता अनुसार म्यूरेट ऑफ पोटाश को अपनाऐं। उन्होने बताया कि जिले में उर्वरकों की आपूर्ति निरंतर बनी हुई है। अभी तक जिले में 19851 मे. टन यूरिया तथा 25804 मे.टन  डी.ए.पी. उर्वरक रबी मौसम के लिए जिले में उपलब्ध कराया जा चूका है। अद्यतन स्थिति तक जिले में यूरिया 3060 मे. टन, डी.ए.पी. 2584 मे. टन, पोटाश 487 मे. टन, एन.पी.के. 1540 मे.टन एवं सिंगल सुपर फॉस्फेट 6662 मे. टन उपलब्ध है। आज मध्यरात्रि तक ईफको कंपनी की अनुमानित 2470 मे. टन की डी.ए.पी. उर्वरक की रैक हरदा रैक पाईंट पर लगने जा रही है। इस प्रकार डी.ए.पी. एवं अन्य उर्वरक की जिले में कोई कमी नही है और निरंतर शासन के रैक प्लान अनुसार उर्वरक जिले में प्रदाय होता रहेगा।