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भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सोमवार को हरतालिका व्रत निर्जला रखेंगी महिलाएं

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 धर्म अध्यात्म |  भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए महिलाओ द्वारा शिवरात्रि,प्रदोष व्रत, प्रति सोमवार व्रत,श्रावण मास मंे विशेष पूजन अर्चना की जाती है। इसी के साथ हरितालिका तीज का महत्व भी बहुत अधिक माना गया है जो प्रतिवर्ष भादो मास की तृतीय को होता हैं। गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए उनके साथ पूरे परिवार का पूजन किया जाता है मां गौरी गणेश कार्तिकेय आदि का पूजन महिलाएं करती हे इसके साथ महिलाएं रतजगा और निर्जला उपवास भी रखती है।

व्रत मे इन नियमो का रखे ध्यान

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हरतालिका व्रत निर्जला किया जाता हैं, अर्थात पूरा दिन एवं रात अगले सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता। हरतालिका व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा किया जाता हैं। इसे विधवा महिलायें भी कर सकती हैं। हरतालिका व्रत का नियम हैं कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता। इसे प्रति वर्ष परे नियमों के साथ किया जाता हैं। यदि व्रती महिला गंभीर रोगी हालात में हो तो उसके बदले में दूसरी महिला या उसका पति भी इस व्रत को कर सकता है। हरतालिका व्रत के दिन पूरी रात महिलायें एकत्र होकर नाच-गाना व भजन करती हैं। इस व्रत पर सौभाग्यवती स्त्रियां नए लाल वस्त्र पहनकर, मेंहदी लगाकर, सोलह श्रृंगार करती हैं। हरतालिका व्रत जिस घर में भी होता हैं। वहां इस पूजा का खंडन नहीं किया जा सकता अर्थात इसे एक परम्परा के रूप में प्रति वर्ष किया जाता हैं। सामान्यत: महिलाएं यह हरतालिका पूजन मंदिर में करती हैं।

हरतालिका तीज की पूजन विधि 

हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती एवं गणेश जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से अपने हाथों से बनाई जाती हैंं। कलश, गणेश, शिव, माता गौरी की पूजा की जाती है। माता गौरी को सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता है। इसके बाद हरतालिका की कथा पढ़ी जाती है। सभी मिलकर आरती करती हैं। सुबह आखरी पूजा के बाद माता गौरा को जो सिंदूर चढ़ाया जाता है। उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं। ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाया जाता है। उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोड़ा जाता है। इस व्रत के व्रती को शयन का निषेध है इसके लिए रात्रि में भजन कीर्तन के साथ रात्रि जागरण करता है। प्रातः काल स्नान करने के बाद श्रद्धा और भक्ति पूर्वक किसी सुपात्र सुहागिन महिला को श्रृंगार सामग्री, वस्त्र, खाद्य सामग्री, फल, मिठाई और यथाशक्ति आभूषण का दान करना चाहिए। मान्यता है कि जो सभी पापों और सांसारिक तापों को हरने वाले हरतालिका व्रत को विधि पूर्वक करता है, उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं।