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भागवत कथा में कृष्ण जन्म प्रसंग के साथ भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की जीवंत झांकी सजाई गई।

खेड़ापति भागवत समिति हरदा के द्वारा भगवा चौक (स्वं.पूनमचंद जोशी के मकान के पास ) आप, हम, सभी के सहयोग से आयोजित श्राद्ध पक्ष में पितरों को समर्पित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन शनिवार को राजा बली, दुर्वासा ऋषि और राजा अम्बरीश, राम जन्म, राम चरित्र तथा कृष्ण जन्म के प्रसंग के साथ नंदोत्सव मनाया गया। इस दौरान भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की जीवंत झांकी भी सजाई गई।
कथा वाचक पंडित श्री विद्याधर उपाध्याय, द्वारा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा का वाचन करते हुए कहा कि भगवान भक्तों के वश में हैं। भगवान हमेशा अपने भक्तों का ध्यान रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब-जब धरती पर पाप, अनाचार बढ़ता है, तब-तब भगवान श्रीहरि धरा पर किसी न किसी रूप में अवतार लेकर भक्तों के संकट को हरते हैं। उन्होंने कहा कि जब कंस के पापों का घड़ा भर गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का अंत किया और लोगों को पापी राजा से मुक्ति दिलाई। कथा के दौरान अनेक भक्तिपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। जिनमें नंद घर जन्में कन्हैया…, कान्हा अब तो ले लो अवतार बृज में…, में तो नंद भवन में जाऊंगी…, यशोदा जायो ललना…, श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा राम भजनों को सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो थिरकने को मजबूर हो गए। इस दौरान श्री उपाध्याय ने कहा कि

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इंसान को मांगने से कुछ नहीं मिलता है, मिलता वही है जो परमात्मा चाहते हैं। लेकिन मनुष्य है कि दुख में ही भगवान को याद करता है सुख आने पर नही।
गज-ग्राह की कथा सुनाते हुए कहा कि अगर हम सुख में भी हम भजन पूजन करते रहे, तो दुःख आएगा ही नही।
और अभिमान नही होना चाहिए हमे विवेक से काम करना चहिए। इश्लिये सत्संग जरूरी है। समुद्र मंथन को समझते हुए कहा कि अगर घर परिवार समाज में मन मुटाव है तो कोई बड़ा उसे अपने ऊपर लेकर समाप्त करे। उन्होंने एकादशी का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि स्वभाव से जो दुखी है वो कभी सुखी नहीं हो सकता। जिस घर में अनीति से धन कमाया जाता है उस परिवार में कभी एकता नहीं रहती। वहां हमेशा बैर बना रहता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।