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महा शिवरात्रि के पवित्र दिन मकड़ाई फतेहगंज में बलि प्रथा की नई परंपरा शुरू, लगभग दस बकरों को मेले में कांटा, प्राचीन मंदिर में दर्शन करने गए श्रद्धालुओ में आक्रोश,

धार्मिक स्थल के करीब काट दिये 8 10 बकरे

हरदा सिराली: एक और पूरा देश महाशिवरात्रि की पावन पर्व की खुशियां मना रहा था और रात्रि 4:00 बजे से ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन एवं जल अभिषेक करने के लिए सारा सनातन समाज भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन था। दूर-दूर से लोग पूरे परिवार सहित भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे थे । मंदिरों में पूरा समाज भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए घंटो लाइन में लगकर भगवान के दर्शन करने की अभिलाषा लिए भगवान के द्वारा पहुंचा । लेकिन भगवान के दर्शन करने से पहले ही उसकी आत्मा को झकझोर देने वाला दृश्य भक्तों के सामने आने से मन दुखी हो गया । आज भगवान भोलेनाथ के महाशिवरात्रि के पवित्र दिन भी धार्मिक स्थलों को अपवित्र करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

जिले के मकड़ाई स्थित फतेह गंज में गुप्तेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने हजारों लोग पहुंचे है। सिराली से करीब 12 किलोमीटर मकड़ाई के फतेहगंज में भगवान भोलेनाथ का प्राचीन स्थान पर बकरों की बलि प्रशासन के नुमाइंदों व स्थानीय जन प्रतिनिधियों के सामने हुई। लेकिन किसी ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया। जबकि प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने आदेश जारी किए हैं की खुले और धार्मिक स्थानों के आसपास ऐसी दुकान नही लगेगी। लेकिन दुर्भाग्य कहे की भक्तो की आस्था का सबसे बड़े पर्व महाशिवरात्रि पर ऐसा नजारा भी देखने को मिला।

क्या है मामला

क्षेत्र में भगवान भोलेनाथ के प्राचीन मंदिरों में महाशिवरात्रि के दिन हजारों हजार लोग भोलेनाथ के दर्शन एवं जल अभिषेक करने के लिए शिवालयों में पहुंचते हैं क्षेत्र के प्राचीन भगवान भोलेनाथ के मंदिर सिराली नगर चारूवा गुप्तेश्वर मंदिर एवं मकड़ाई में प्राचीन काल से पहाड़ का पेट चीरकर अपना सुरक्षित स्थान लिए भोलेनाथ का मंदिर है।

जिसे वन क्षेत्र में होने के कारण प्राकृतिक सुंदरता लोगों का मनमोहित करती है ।

ऐसे स्थान पर लगभग सौ से अधिक गांव के लोग पूरे परिवार सहित भगवान भोलेनाथ के दर्शन एवं जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।

 

शिवरात्रि के पावन पर्व पर शासन द्वारा स्वच्छता एवं जल व्यवस्था आम जनता के लिए की जाती है जहां इस पावन दिन पर फतेहगंज में मेले का आयोजन होता है । भोलेनाथ के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भीड़ आती है और भगवान के दर्शन कर मेले से सामग्री खरीद कर जाती है।

लेकिन इस बार धार्मिक लोगों की मन को ठेस पहुंचाने का एक जो पाप हुआ है वह उसे पवित्र स्थल के करीब 8 से 10 बकरों को माला डालकर प्रदर्शनी रूप में ले जाया गया और वहीं से करीब 100 मीटर की दूरी पर उनकी बलि चढ़ा दी ।

इससे पहले कभी भी इस पावन दिन पर यहां किसी प्रकार का कोई बलि के नाम पर पशुओं की हत्या नहीं की गई है।

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लेकिन इस बार आम जनता की आस्था के साथ जो खिलवाड़ शासन प्रशासन और जिम्मेदार नेताओं ने किया है इससे क्षेत्र की आम जनता के मन को बहुत पीड़ा पहुंची है।

आखिर किसकी परमिशन से काट दिए गए बकरे

प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धार्मिक स्थलों एवं खुले में निर्मम तरीके से पशुओं की हत्या कर मांस मटन पर रोक लगाई है इसके बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारी एवं नेता आम जनता की भावना के साथ खिलवाड़ करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं । महाशिवरात्रि के पावन दिन पर जो आज तक मकड़ाई मैं नहीं हुआ वह इस बार कैसे हो गया और शासन प्रशासन ने ऐसे निर्मम पशु की हत्या को रोका क्यों नहीं ? सूत्रों की माने तो इस पवित्र स्थान पर पशुओं की निर्माण हत्या में जिम्मेदार अधिकारियों की मिली भगत सामने आती है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर पवित्र स्थान पर किसने टेंट लगवाया ? किसकी परमिशन से लगा ? शासन प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों के इस बात की भनक क्यों नहीं लगी।

आखिर लोगों की धार्मिक भावना के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किस अधिकारी को मिला था ।जो उसने आम जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होना चाहिए।

◆ स्थानीय लोगों ने जताई नाराजगी

जैसे ही बकरों की बलि देने के मामला आम जनता को पता लगा वैसे ही चर्चाओं का माहौल गर्म हो गया। 80 साल के आदिवासी बुजुर्ग ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसे पवित्र दिन मकड़ाई में कभी भी ऐसी पशुओं की हत्या की परंपरा नहीं है । यह किसके कहने पर यहां इस पवित्र जल को लाल कर दिया गया।

किन लोगों की कारस्तानी है जो आज इस पवित्र दिन हमारे गौरवशाली परंपरा को पशुओं का वध कर कलंकित कर दिया है। देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कार्यवाही करता है।

कार्यवाही नही हुई तो नई परंपरा शुरू हो जाएगी।

सिराली के हिंदुत्वादी नेता उदय सिंह चौहान ने कहा की मेने भी 19 साल तक मेले में दुकान लगाई। वो बहुत ही प्राचीन मंदिर है। हजारों लोग दर्शन करने आते है। आज से पहले कभी भी वहा किसी भी जानवर की बलि नहीं दी गई। हो सकता है। उसके आसपास किसी स्थान पर बकरे की बलि दी जाती हो। लेकिन महाशिवरात्रि के दिन आज तक कभी भी बलि नहीं दी गई।

सनातन  धर्म को मानने वाले लोगो की आस्थाओं को ठेस पहुंचाने का काम  स्थानीय कुछ लोगो ने किया। और स्थानीय प्रशासन की गंभीर लापरवाही रही की उन्होंने बीच मेले में टेंट लगाकर बकरों की बलि देने वालो को रोका क्यों नही। इन लोगो पर कार्यवाही होना चाहिए।

क्या कहते अधिकारी जनप्रतिनिधि

इस संबंध में जिला कलेक्टर आदित्य सिंह को उनके नंबर पर काल कर संपर्क किया गया लेकिन संपर्क नही हो पाया।

इस संबंध में विधायक अभिजीत शाह को उनके मोबाइल पर काल कर उनसे संपर्क किया गया। लेकिन संपर्क नही हो पाया।