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मुखबिर पुरस्कार योजना में मिलेगा 2 लाख रूपये तक का पुरस्कार

मकड़ाई समाचार हरदा। मध्यप्रदेश में जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार शिशु लिंगानुपात 918 है। अर्थात 1000 बालकों पर केवल 918 बालिकाओं का जन्म ही प्रदेश में होता है। इस कम लिंगानुपात को बढ़ाने के लिये लैंगिक चयन गतिविधियों पर रोक लगाने की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पी.सी. एण्ड पी.एन.डी.टी. अधिनियम के तहत पुनरीक्षित मुखबिर पुरस्कार योजना लागू की है। इस योजना के तहत अवैध तरीके से गर्भ परीक्षण कराने के संबंध में सूचना देने के मामलों में 2 लाख रूपये तक का पुरस्कार देने का प्रावधान है। जारी आदेश अनुसार इस पुरस्कार राशि को मुखबिर के साथ-साथ डिकॉय महिला, अभियोजन अधिकारी एवं जिला नोडल अधिकारी या कलेक्टर द्वारा चिन्हित किसी अन्य अधिकारी के बीच विभाजित कर दिया जाएगा।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मुखबिर व डिकॉय महिला की जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जाएगी। पुरस्कार राशि दो किश्तों में दी जाएगी पहली किश्त में 1 लाख 25 हजार रूपये कोर्ट में चालान प्रस्तुत होने पर दिये जाएंगे, जिसमें से मुखबिर को 50 हजार रूपये, पीएनडीटी के जिला नोडल अधिकारी या अन्य किसी अधिकारी जिसे कलेक्टर ने चयनित किया हो को 25 हजार तथा अभियोजन अधिकारी 50 हजार दिये जायेंगे। द्वितीय किश्त के रूप में 75 हजार रूपये न्यायालय में अपराध सिद्ध होने के बाद दिये जायेंगे, जिसमें से 30 हजार रूपये मुखबिर को, 15 हजार रूपये नोडल अधिकारी या कलेक्टर द्वारा चिन्हित अधिकारी को एवं 30 हजार रूपये अभियोजन अधिकारी को दिये जायेंगे।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि यदि मुखबिर द्वारा स्टिंग ऑपरेशन कर अवैध तरीके से गर्भ परीक्षण कराने के संबंध में सूचना एकत्र की है तो उस स्थिति में पहली किश्त में 1 लाख 25 हजार रूपये कोर्ट में चालान प्रस्तुत होने पर दिये जाएंगे, जिसमें से मुखबिर को 50 हजार रूपये, डिकॉय महिला को 20 हजार, डिकॉय महिला के सहयोगी को 10 हजार, पीएनडीटी के जिला नोडल अधिकारी या अन्य किसी अधिकारी जिसे कलेक्टर ने चयनित किया हो को 15 हजार तथा अभियोजन अधिकारी 30 हजार दिये जायेंगे। जबकि द्वितीय किश्त के रूप में 75 हजार रूपये न्यायालय में अपराध सिद्ध होने के बाद दिये जायेंगे, जिसमें से 30 हजार रूपये मुखबिर को, 10 हजार रूपये डिकॉय महिला को, 5 हजार रूपये डिकॉय महिला के सहयोगियों को, 10 हजार रूपये नोडल अधिकारी या कलेक्टर द्वारा चिन्हित अधिकारी को एवं 20 हजार रूपये अभियोजन अधिकारी को दिये जायेंगे।