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युवाओ द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में बढोत्तरी, जांच का विषय आखिर क्या कारण है जो ऐसे ख़ौफ़नाक कदम उठा रहा युवा वर्ग

मनोचिकित्सक की मदद से प्रकरणो में रोकथाम हो सकती हैं

मकड़ाई समाचार हरदा| पिछले वर्ष में युवाओ द्वारा आत्महत्या करने के घटनाएं बहुत ज्यादा देखने में आ रही हैं। युवाओ द्वारा इस प्रकार के कदम उठाना अपनी जीवन को समाप्त कर देना हमारे लिए सोचने का विषय है। ज्ञात हो कि एक संगठन द्वारा आंकडे दिए गए थें कि भारत में सबसे ज्यादा आत्महत्या युवाओ द्वारा की जाती है। आज हम जो घटनाएं सुन रहे है इसमें निराशा अपमान और दबाब में ज्यादा आत्महत्या हुई है। इन मामलो में विगत 5 वर्षो में करीब 30 से 35 प्रतिशत की हुई है।
देश में सुशांतसिंह की आत्महत्या की घटना ने पूरे देश के लोगो झकझोर के रख दिया। युवाओ में सुशांत सिंह का अच्छा खासा क्रेज था।इसलिए वे युवाओ की खास पसंद थे और उनके द्वारा आत्महत्या किए जानेे की घटना पुलिस और मनोचिकित्सको सभी के लिए जांच का विषय हो सकती हैं।इससे हम युवाओ द्वारा किए जा रहे आत्म हत्या के कारणों को खोज पाएंगे।

युवाओ द्वारा आत्महत्या किए जाने के संभावित कारण
बचपन और किशोर अवस्था में देखे गए बडे बडे़ सपनो को जब युवास्था में दूर जाते देखते हैं तो निराशा आती है।उम्र बढने के साथ युवा बड़े बदलावों से गुजर रहे होते हैं। शरीर में बदलाव, विचारों में बदलाव और भावनाओं में बदलाव शामिल हैं। तनाव, भ्रम, भय और संदेह की मजबूत भावनाएं एक किशोर की समस्या को सुलझाने और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।कुछ परिस्थितियां युवाओ को विवश करती है आत्महत्या के लिए वे निराशा और भय में इतना बडा कदम उठाते है कि खुद की जिंदगी को खत्म कर देते है।

रुपयो के लेन देन साहूकारों का कर्ज के दबाब में आत्महत्या

अपने किसी रिश्तेदार व मित्र को फायनेंस कंपनी से लोन दिलाए या खुद लेकर उन्हे रुपया दे दे ओर जब कंपनी द्वारा रुपया मांगा जाता है तो जिन्हे दिए वो न दे पाए ऐसी स्थिति में युवा मानसिक दबाब में आ जाता हैं। ऐसे में मित्र परिवार एक दो किश्त में सहयोग करते है मगर ये निजी फायनेंस कंपनी लोन आसानी से देती है तो वसूलने मेें कई हथकंडे अपनाती हैं।इनके दबाब में आकर भी युवा आत्महत्या करते हैं।ऐसे अनेक मामले इंदौर भोपाल में हुए है। ऐसा ही एक मामला रहटगॉव थाना क्षेत्र के ग्राम धुरगाड़ा में भी हुआ। घटना दिनांक 22/ 6/2021 को एक युवक ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।। 26/6/2021 को रहटगॉव थाना में प्रकरण दर्ज हुआ था। युवक का नाम रमेश उर्फ गोलु पिता ध्यान सिंह राजपूत था। युवक ने सल्फास खाकर जान क्यो दी। संपन्न परिवार सीधे शांत स्वभाव के युवक ने जान क्यो दी। यह सवाल आज भी गॉव के लोगो के मन मे बार बार आ रहा है। सूत्रों की माने तो गॉव में यह भी चर्चा है कि युवक का लेनदेन किसी से था। उसने अपने एक रिश्तेदार को लाखों रुपया एक साहूकार से कर्ज लेकर दिया था। जब साहूकार का ज्यादा तकादा पड़ा। और करीबी रिश्तेदार ने हाथ ऊंचे कर दिये तो युवक ने मौत को गले लगा लिया। ऐसे मामलों की जांच होना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे ख़ौफ़नाक कदम कोई भी युवा नही उठाये। हालांकि हम मानते है कि मृतक के माता पिता पत्नी की बयान पर ही कार्यवाही होती है। लेकिन कभी कभी किसी के दबाब मानसिक बदनामी के डर से भी पुलिस को परिजनों द्वारा सही बात नही बताई जाती इसी कारण कई आत्महत्या के मामले फाइलों में ही दब कर रहे गए। पुलिस को अपने मुखबिर तंत्र की मदद से ऐसे मामलों की तह तक जाकर कार्यवाही करना चाहिए ताकि सच्चाई सामने आए। दोषियों पर कार्यवाही हो।

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प्यार मोहब्बत में ब्रेकअप

जब एक किशोर जवानी की दहलीज पर कदम रखता है उसमे प्यार की भावनाएं पनपती है ऐसे में वह भी किसी साथी की तलाश में होता है। मामले में अगर ब्रेकअप होता हैं वह निराशा और दुख की स्थिति में आ जाता हैं ऐसे में नशे का आदि हो जाता हैं। इन हालातो में भी आत्महत्या के मामले आते है।

युवाओ द्वारा आत्महत्या के मामले में हमारा जिला भी अछूता नही हैं
युवाओ द्वारा फांसी लगाने की घटनाएं विगत वर्ष में बहुत हुई ओर अभी कुछ दिनो पूर्व भी एक पुताई का काम करने वाले युवक ने अपने ही घर में फांसी लगा ली थी। ऐसा ही दूसरा मामला दो महिने पहले आयुष गौर 19 वर्ष निवासी बादर विहार कालोनी ने फांसी लगाई थी।चार महिने पहले जोशी कालोनी में लड़की ने फांसी लगाई थी। इन युवाओ ने फांसी लगाकर अपनी जिंदगी तो खत्म कर ली। अपना रोता बिलखता परिवार को छोड दिया आज भी इन लोगो याद परिवार को आती है तो उनके आंसू नही थमते हैं।

पुलिस आत्महत्या प्रकरण में मनोचिकित्सक की भी ले मदद

फांसी के मामले में पुलिस प्रथम दृष्टया देखती है कि यह हत्या या आत्महत्या का मामला है। अगर उसे हत्या का मामला लगता हैं तो आगे जांच तफ्तीश में जाती हैं और अपराधी की खोज करती है मगर आत्महत्या के मामले में परिजनो से बात कर शव का पोस्टमार्टम कराकर अंतिमं संस्कार के बाद मामला शांत हो जाता है। आत्महत्या के मामले में पुलिस को मनोवैज्ञानिक चिकित्सको की मदद लेनी चाहिए और मामले को विस्तार में जाकर युवाओ में आ रहे निराशा और भय के कारणो पर खोज हो युवाओ की आत्महत्या के प्रकरणों को विस्तार से लोगो के सामने रखे ताकि अन्य युवाओ को हम उन कारणो से बचा सकें। जिला प्रशासन पुलिस और मनोचिकित्सक की मदद से युवाओ की आत्महत्या के प्रकरणों पर ध्यान दे। युवाओ मे निराशा,भय और अकेलापन में किस प्रकार सशक्त और मजबूती के साथ उभरे और विपरीत परिस्थतियों का डटकर सामना करे। आत्महत्या कोई विकल्प नही है यह तो कायरता है।