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वनिता गुप्ता बनी एसोसिएट अटॉर्नी जनरल, 38 बंधकों को रिहा कराकर आई थी चर्चा में

मकड़ाई समाचार वॉशिंगटन। अमेरिका में संसद पर हुए उपद्रवियों के हमले के बाद चल रही सियासत के बीच एक भारतीय मूल के महिला वकील को एसोसिएट अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारतीय मूल की अमेरिकी महिला वनिता गुप्ता को एसोसिएट अटॉर्नी जनरल के पद के लिए नामित किया है। अगर उनकी नियुक्ति को सीनेट की मंजूरी मिल जाती है तो वह इस पद पर पहुंचने वाली अमेरिका की पहली अश्वेत महिला होंगी। वनिता गुप्ता के बारे में बाइडन ने कहा कि वे नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाली अमेरिका की सबसे सम्मानित वकीलों में से हैं और उन्होंने वंचितों को न्याय दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया है। गौरतलब है कि वनिता ने इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में न्याय विभाग में प्रमुख उप सहायक अटॉर्नी जनरल और नागरिक अधिकार प्रभाग के प्रमुख के रूप में कार्य किया था, जब बराक ओबामा राष्ट्रपति थे, उस समय जो बाइडन उपराष्ट्रपति पद पर थे।

न्याय विभाग का तीसरा प्रमुख है एसोसिएट अटॉर्नी जनरल

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने गृह प्रांत डेलावेयर के विलमिंगटन में मीडिया को कहा कि एसोसिएट अटॉर्नी जनरल न्याय विभाग में तीसरा सबसे प्रमुख पद है और मैं इसके लिए वनिता गुप्ता को नामित करता हूं। गौरतलब है कि वनिता ने NAACP (नेशनल एसोसिएशन ऑफ कलर्ड पीपल) लीगल डिफेंस फंड से अपने करियर की शुरुआत की थी।

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38 लोगों की रिहाई कराकर आई थी सुर्खियों में

एनएएसीपी में काम करने के दौरान वनिता सुर्खिंयों में तब आईं, जब उन्होंने लॉ स्कूल से सीधे 38 लोगों की रिहाई में जीत प्राप्त की थी। रिहा होने वाले अधिकांश अफ्रीकी मूल के अमेरिकी थे, जिन्हें टेक्सॉस के एक कस्बे में मादक पदार्थों के आरोपों में गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था। साथ ही केस लड़ने के दौरान वनिता ने उन्हें मुआवजे के तौर पर 60 लाख डॉलर भारी भरकम राशि भी दिलाई थी।

मानवाधिकारों के लिए भी वनिता गुप्ता ने किया काम

गौरतलब है कि वनिता गुप्ता ने शीर्ष मानवाधिकार संगठन, अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन के लिए एक स्टाफ वकील के रूप में भी काम किया। यहां पर उन्होंने अप्रवासियों और सामूहिक गिरफ्तारियों के शिकार लोगों के कई मामले मजबूती के साथ उठाए थे। बाइडन की घोषणा पर वनिता ने कहा, “मेरा नामांकन भारत से आए प्रवासियों के लिए गर्व की बात है। ऐसा नागरिक अधिकार आंदोलन और 1965 के आव्रजन और राष्ट्रीयता कानून द्वारा संभव हो सका है। साथ ही वनिता ने कहा कि अमेरिकी संसद पर हुए हमले को सामान्य तौर पर नहीं लिया जा सकता है। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमारे मूल्य, हमारा संविधान और हमारा लोकतंत्र स्वयं अपनी रक्षा नहीं करते हैं बल्कि यह देश के साहसी लोगों द्वारा संभव होता है। वनिता ने साफ कहा कि इस समय देश को सख्त नेतृत्व की जरूरत है।