सरकार द्वारा महिलाओं के आत्मसम्मान को ध्यान में रखकर समग्र स्वच्छता अभियान घर घर शौचालय योजना करोड़ों रुपये बजट की बनाई गई ताकि महिलाएं खुले में शौच से मुक्ति पाएं। जहां सरकार ने महिलाओं के आत्मसम्मान का ध्यान रखा तो फिर विभाग के अधिकारियों ने अपने अधीनस्थ महिलाकर्मियों के इन बातो की उपेक्षा क्यो की गई है।रहवासी क्षेत्र से दो किमी.दूर बने बिजली विभाग के विद्युत उपकेंद्र महिला कर्मचारी के लिए न तो पीने का पानी और न ही शौचालय है।विडंबना देखिए कि इस बात से उच्चाधिकारी भी अनजान नही है।आज महिला आत्मसम्मान की सारी बाते सरकार की खोखली साबित हो रही है।
मकड़ाई समाचार हरदा। जिला मुख्यालय करीब 25 किमी दूर मगरधा के पास में मप्र विद्युत वितरण कंपनी का विद्युत उपकेंद्र हैं।जो करीब 25 वर्षो से संचालित हो रहा है।यह विद्युत उपकेंद्र से करीब 50 गांव जुडे़ हुए है। इसमें यहां पर एक से दो कर्मचारी सेवा देते हैं।वर्तमान में यहां पर महिला आपरेटर है।जो दिन के समय यहां पर सेवा देती है।महिला आपरेटर विगत 5 सालो से यहां पर है। जब मकड़ाई समचार की टीम ने इस केंद्र की स्थिति देखी तो दंग रह गए जब इस केंद्र पर अव्यवस्थाओं के इस आलम मे एक महिला कर्मचारी कैसे अपने दायित्व को निभा रही है।
पीने का नही है पानी
मप्र विद्युत वितरण कंपनी के इस सब स्टेशन पर सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि यहां पर पीने के पानी की कोई व्यवस्था ही नही है न कोई हेंडपंप आदि। यहां पर पीने का पानी डेढ़ किमी दूर मगरधा से लाना पड़ता हैं।विगत 25 वर्षो से काम कर रहे कर्मचारी इस समस्या से जूझ रहे हैं मगर विभाग के उच्चाधिकारियों के इस बात की समझ आज तक क्यू नही पड़ी। बारिश और ठंड में नही तो गर्मियों के क्या हालात बनते है आप अंदाजा लगा सकते है।अभी महिला कर्मचारी दिन में रहती है उन्हे समस्या बनी रहती हैं कि पीने का पानी कहां से लाए।अभी तो यह लोग अपने हिसाब से थोड़ा बहुत पानी घर से लेकर चलते है मगर गर्मियों में ज्यादा हालत खराब होती है।इसके बाद यह स्थान आबादी क्षेत्र से दूर होने ज्यादा दिक्कते महसूस होती है।
25 वर्ष पुराने इस उपकेद्र में शौचालय भी नही है
इस विद्युत उपकेद्र में अव्यवस्था तो बहुत सारी है मगर हम सिर्फ मूलभूत आवश्यकताओं की बात कर रहे है तो यहां पर शौचालय भी नही है। सबसे बड़ी और दुखद बात तो यह है कि यहां पर महिला कर्मचारी है। जिनके लिए यहां पर शौचालय होना बहुत ही जरुरी है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे महिलाओं की सुरक्षा सम्मान के सारे अभियान की पोल खुल रही है। एक ओर पीने का पानी नही है तो दूसरी शौचालय न होना भी और भी दुखदायी है। महिला होने के कारण इनके लिए बहुत संकोच और दुखदायी स्थिति बनी रहती हैं। जहां सरकार द्वारा महिला आत्मसम्मान की बडी बड़ी बातें की जाती है और सरकार ही के कर्मचारियों के यह हालात है।हम अगर देखे तो विद्युत विभाग के कर्मचारी लाईन मेन शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में दबाब में डालकर पैसा बना लेते है। सरकार द्वारा विद्युत विभाग के लाईनमेन कर्मचारियों की 70-80 हजार रुपये तक सैलरी हैं।वरिष्ठ अधिकारियो की एक लाख से उपर है। जब मप्र विद्युत वितरण कंपनी अपने अधिकारी कर्मचारियों को इतना वेतन दे रही है। तो 25 वर्षो से चल रहे इस बिजली सब स्टेशन पर एक शौचालय नही बना सकती है।जिसमें करीब 15-20 रुपयो का खर्च आता है।जबकि इस केंद्र पर सभी वरिष्ठ अधिकारी सबसे ज्यादा निरीक्षण करने आते है।
वरिष्ठ अधिकारियों को है जानकारी
इस सब स्टेशन के सारी स्थिति से वरिष्ठ अधिकारी अनजान नही है।विभाग के वरिष्ठ अधिकारी यहां पर कई बार आ चुके है। उन्हे यह सब समस्या मालूम हैं इसके बाद भी उनके द्वारा अभी तक इस मामलेे मे कोई ठोस कदम आज तक नही उठाया गया है। एक महिला कर्मचारी के सुरक्षा ओर संकोच का ध्यान में रखकर यहां पर पानी और शौचालय की व्यवस्थाएं कराते। ऐसा नही कर पा रहे है। वहीं मेंटेंनेंस के नाम से भी अधिकारी कर्मचारी सरकार का बहुत रुपया खर्च करते है मगर इस ओर उनका ध्यान ही नही जाता है।
ग्राम पंचायत ने भी ध्यान नही दिया
ग्राम पंचायत ने भी स्वच्छ भारत मिशन के तहत सर्वे किया मगर इस ओर ध्यान नही दिया। स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर घर निशुल्क शौचालय बनाए गए।इसको लेकर सरकार ने महिलाओं के आत्मसम्मान और सुरक्षा के मद्देनजर यह अभियान चलाया था। ताकि महिलाएं खुले मे शौच के लिए रात अंधेरे न जाए ताकि उनके साथ किसी भी प्रकार की कोई अनहोनी हो। सरकार के इस अभियान का फायदा भी इस सबस्टेशन को पंचायत ने दिया और न ही मप्र विद्युत वितरण कंपनी दे पायी।
इनका कहना है– आपके द्वारा मामला संज्ञान लाया गया है।मै मप्र विद्युत विभाग के डीई से बात करके सब स्टेशन पर शौचालय और पानी की व्यवस्था जल्द करायेगें । .प्रियंका गोयल एडीएम हरदा