Sharad Purnima Remedy : इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर, रविवार को है। इस पूर्णिमा को आरोग्य का वरदान माना जाता है। कहा जाता है कि यदि इस दिन विधि-विधान से नियमों का पालन कर लिया जाए तो मनुष्य को कभी भी रोग, बीमारियां नहीं होंगी। आश्विन पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं। इस दिन रास-उत्सव और जागरण व्रत किया जाता है । गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था । अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्व है। इस रात को चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है।
शरद पूनम की रात को क्या करें, क्या न करें
डा पंडित गणेश शर्मा स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दशहरा से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं। इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें। नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें ।अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें।’ फिर वह खीर खालेना इस रात सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
शरद पूनम दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान का दिन है इस दिन गायत्रि मन्दिर ओर आश्रमों में निःशुल्क औषधि मिलती है, वह चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर में मिलाकर खा लेना और रात को सोना नहीं । दमे का दम निकल जायेगा। चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है। शरद पूनम की चाँदनी का अपना महत्त्व है लेकिन बारहों महीने चन्द्रमा की चाँदनी गर्भ को और औषधियों को पुष्ट करती है।