मकड़ाई समाचार अनूपपुर/अमरकंटक। पवित्र नगरी अमरकंटक में रविवार को शरद पूर्णिमा के पावन दिवस पर पहुंचे और नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाई। यहां विभिन्न प्रांतों से आए श्रध्दालुओं का तांता लगा रहा। श्रद्धालु नर्मदा मंदिर परिसर में मां नर्मदा का नर्मदे हर का उद्घोष लगाते दिखे। इसी तरह मंदिर के मुख्य द्वार स्थल पर दर्शनार्थी लंबी कतार लगाकर मंदिर में प्रवेश कर माता का दर्शन किया।
शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने धूप, दीप, अक्षत, रोली, चंदन, पुष्प, गंध, दूध, दही, शहद, घृत व नैवेद्य समर्पित कर मां नर्मदा से सुख और समृद्धि की कामना की। रविवार को पूर्णिमा होने पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु अमरकंटक एकत्र हुए थे। इससे यहां के सभी धार्मिक स्थलों पर खासी चहल-पहल रही। जानकारी अनुसार शरद पूर्णिमा पर नर्मदा में स्नान,दान और पूजन करने का बड़ा महत्व है। अमरकंटक को अमर पर्वत के नाम से और माता नर्मदा को अमृता के नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा माई के दर्शन मात्र से लोगों का कष्ट समाप्त हो जाता है मां नर्मदा पुण्यदायनी है। शरद पूर्णिमा में जो भी श्रृध्दालु अमरकंटक आते है और मां नर्मदा का स्नान,दान, पूजनपाठ करते है वह महालक्ष्मी स्वरूप के अनुरूप आशिर्वाद के भागीदार कहलाते हैं। ऐसा मानना है कि पूरे विश्व में शरद पूर्णिमा मनाने का महत्व है तो उससे कहीं ज्यादा महत्व पूजा-पाठ शरद पूर्णिमा के दिन अमरकंटक में नर्मदा नदी प्रागंण स्थल पर मनाने में होता है।
यह भी मान्यता
अमृत वर्षा के लिए रात में खुले आसमान के नीचे खीर रखने की पृथा है-मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को अमृत वर्षा होती है। इस दिन घरों में खीर बना कर लोग उसे खुले आसमान के नीचे रखते हैं। यह परंपरा काफी प्राचीन है। इस खीर को परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में खिलाया जाता है। जानकार बताते हैं कि इस खीर को खाने से कई रोग दूर हो जाते हैं। अमरकंटक में शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालु खीर का भोग भी बनवा रहे हैं।