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श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन गोगा नवमी मनाई जाती

राजस्थान |भाद्रपद महीने में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन गोगा नवमी मनाई जाती है। राजस्थान के लोकप्रिय देवता गोगा जी को गोगाजाहरवीर गोगागुग्गागोगा पीरजाहरपीरगोगा चौहानगोगा राणागोगा बीरगोगा महाराज और राजा मंडलिक के नाम से भी जाना जाता है।राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक छोटा सा कस्बा गोगामेड़ी में भादों कृष्णपक्ष एवं शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी का मेला बहुत प्रसिद्ध है। इस मेले में श्रद्धालु राजस्थान राज्य के अतरिक्त जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं गुजरात से भी पधारते हैं। गोगा नवमी को श्री जहरवीर गोगाजी की जयंती के रूप में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। बाबा गोरखनाथ के परमशिष्य गोगाजी महाराज को नागों का देवता माना जाता है। इसलिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर में रखने से सांपों के भय से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार गोगा जी महाराज की पूजा करने से सर्पदंश का खतरा नहीं होता है। हिन्दू इन्हें गोगाजी तथा मुसलमान इनको गोगापीर एवं जाहरपीर के रूप में पूजते हैं।

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राजस्थान में एक जनश्रुति के अनुसार पाबूजीहड़बूजीरामदेवजीमंगलियाजी और मेहाजी को पांच मुख्य पीर(पंच पीर) माना जाता है। इस जनश्रुति को दोहा के रूप में इस प्रकार से जाना जाता है:
पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा ।
पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा ॥