
इस घेराव में नरईबोध, गंगानगर, मड़वाढोढा, भठोरा, भिलाई बाजार, रलिया, बरभांठा, गेवरा बस्ती, बरेली, भैसमाखार, मनगांव, रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी, कोसमंदा, खम्हरिया, बरमपुर, दुल्लापुर, सोनपुरी, जटराज, पाली पड़निया, पुरैना, कुचैना, मलगांव, दादरपारा, सरईपाली, जूनाडीह, विजयनगर, बतारी, बांकी बस्ती, झाबर, जवाली, रोहिणा, चैनपुर, चुरैल सहित 40 से अधिक गांव के भूविस्थापित किसानों ने हिस्सा लिया। ग्रामीणों की लामबंदी के लिए किसान सभा ने न्याय यात्रा भी निकाली थी, जिसने बैठकों, सभाओं और पर्चा वितरण के जरिए ग्रामीणों को एकजुट किया। घेराव का नेतृत्व प्रमुख रूप से माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, शिवदयाल, देव कुंवारी, कांति कंवर, पूर्णिमा महंत, शिवनारायण, जवाहर सिंह, संजय यादव, पुरषोत्तम कंवर, रघु, सुमेन्द्र सिंह, गुलाब, पवन यादव, बसंत चौहान, दीना नाथ, मोहन, अनिल, अमृत बाई आदि कर रहे थे। घेराव में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।
किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि एसईसीएल की जन विरोधी नीतियों से त्रस्त ग्रामीणों ने अब किसान सभा के नेतृत्व में आर या पार की लड़ाई लड़ने का संकल्प ले लिया है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो ग्रामीणों की बर्बादी और किसानों की लाशों पर जिला प्रशासन के सहयोग से इस क्षेत्र में एसईसीएल अपने मुनाफे के महल खड़े कर रहा है और दूसरी ओर वे रोजगार और पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसान सभा नेता ने कहा कि किसान सभा भूविस्थापितों की मांगो पर चल रहे संघर्ष में हर पल उनके साथ खड़ी रहेगी।
भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष रेशम यादव, दामोदर श्याम, किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक आदि ने कलेक्ट्रेट घेराव को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त करते हुए इस संघर्ष को और तेज करने का आह्वान किया है, ताकि सरकार और एसईसीएल की नीतियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जा सके।