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हरदा विधानसभा: राजा को इसकी जरूरत क्यों पड़ गई! विशेष लेख जरूर पढ़े

रामविलास केरवार  वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार की कलम से

राजा को इसकी जरूरत क्यों पड़ गई !क्या इतना भी विश्वास नहीं रह गया की जनता उसके कहने पर नहीं आएगी… वीडियो देखिए जिसमें कावड़ यात्रा वाले दिन बीजेपी के कार्यकर्ता गांव से आई महिलाओं को साड़ी बांट रहे हैं । जब कोई राजा इस हद पर आ जाए तब समझ लीजिए कि राजा को जनता पर विश्वास नहीं ? राजा को अपने काम पर विश्वास नहीं । यह मान लीजिए राजा ने जनता के लिए धरातल पर स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार ,सड़क, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए कुछ किया नहीं है । विकास भी खोखले दावे पर आधारित है।

इसमें गरीब जनता का कोई दोष नहीं ।वह तो एक साड़ी को ही विकास मान रही है । मानसिकता राजा की झलक रही है । कितनी औछी मानसिकता है । जनता जब राजा को चुनती है तो समग्र विकास की अवधारणा मन में रखती है । जिसमें गांव की पक्की सड़क हो, क्षेत्र में स्वास्थ्य की सुविधा हो, रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हो, अस्पताल में डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी ,जैसी बुनियादी आवश्यकताएं पूरी होगी ? मगर राजा की मानसिकता क्या है? जनता के लिए कुछ मत करो , जो कुछ करना है अपने स्वयं के लिए करो। और जब भोली-भाली जनता की जरूरत पड़े तब उसके अरमानों को ₹200 की साड़ी मैं लूट लो ! यह किस तरह की मानसिकता के परिचायक बन गए हो ? राजा का यही दायित्व बनता है ? चुनाव के वक्त जो जनता को सपने दिखाए थे वह एक छलावा था क्या ?
खैर , कांग्रेस भी अपने दायित्वों पर खरी नहीं उतर रही है । जब जनता के साथ ₹200 की साड़ी का छलावा हो रहा था तब सिर्फ मनीष बाबू जी ने वीडियो जारी करके अपनी पीड़ा व्यक्त की, बाकी सब गुप्प हो गए । चाहते तो अपनी-अपनी आईडी से वीडियो को जारी करते और जनता के साथ हो रहे छलावे को उजागर करते ,मगर किसी ने नहीं किया। ये लोग इस तरीके से जनता के हितेषी बनेंगे ? मनीष बाबू जी ,केदार सिरोही ,मोहन बिश्नोई, हेमंत टाले, इनको मेरे ख्याल से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना है फिर भी लगातार जनता के मुद्दों पर मैदान में डटे हुए हैं । किसानों की बीमा राशि न मिलने का मामला हो ,घटिया सड़क निर्माण का मामला हो, मूंग खरीदी में हो रही गड़बड़ी का मामला हो ,लाडली बहनों को पैसा नहीं मिलने का मामला हो, सभी मुद्दों पर जमीन पर उतर कर लड़े हैं। बाकी तो विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना देखने में मस्त है । प्रदेश कांग्रेस के नेता भी कैसे लोगों पर विश्वास कर रहे हैं यह उनको देखना है । यह नहीं भूलिएगा जनता भी लीडरशिप देखती है। जब आप जनता के मुद्दों पर लड़ने का साहस नहीं दिखाएंगे तब आपको जनता ही सिरे से खारिज कर देगी ? आगे आप क्या सोचते हैं पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो ।