ब्रेकिंग
Today News: मप्र आज का मौसम : रविवार को ग्वालियर, चंबल, सागर-रीवा सम्भाग में भारी बारिश का अलर्ट राजा रघुवंशी हत्याकांड मे नया मोड़ शनिवार रात एक प्रॉपर्टी ब्रोकर को एसआईटी ने पकड़ा! प्रॉपर्टी ब्रोकर... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 22 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे प्रेमी की मौत के बाद उसके दोस्त ने प्रेमिका का किया शोषण! फोटो को एडिट कर वायरल करने की धमकी देकर कि... हरदा: न्यायालय परिसर में न्यायाधीश, अधिवक्ताओं व कर्मचारियों ने किया योग हरदा जिले में “संविधान संवाद यात्रा” का आयोजन 22 से 25 जून तक जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर ग्राम सुखरास में PWD विभाग ने एक किलोमीटर सड़क नहीं बनाई !  बारिश क... हरदा जिला मुख्यालय पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामूहिक योगाभ्यास कार्यक्रम हुआ सम्पन्न!  मूंग पंजीयन: आसमान से गिरे खजूर में अटके  गिरदावरी नहीं होने से अटका मूंग पंजीयन!  गुर्जर समाज ने महापौर को सौंपा ज्ञापन,भगवान देव नारायण और माता फ्ना धाय के नाम पर चौराहों का नामकरण ...

हाथ में जलता हुआ खप्पर और तलवार लेकर निकली मां अंबे

मकड़ाई समाचार खरगोन। भावसार क्षत्रिय समाज द्वारा पिछले 403 वर्ष से चली आ रही खप्पर की परंपरा अंतर्गत शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी को मां अंबे का खप्पर निकला। यहां मां अंबे एक हाथ में जलता हुआ खप्पर और दूसरे हाथ में तलवार लेकर निकली और भक्तों को दर्शन दिए। समाज के डा. मोहन भावसार ने बताया कि शारदीय नवरात्रि पर निकलने वाले खप्पर की परंपरा 403 वर्ष से चली आ रही है। इसी के अंतर्गत बुधवार को महाअष्टमी की मध्यरात्रि में माता अंबे का खप्पर निकला। कार्यक्रम की शुरुआत सर्वप्रथम झाड़ की विशेष पूजन-अर्चना के साथ हुई।

पूजा-अर्चन के बाद सबसे पहले गणेश का स्वांग रचकर कलाकार निकले। इसके बाद भूत-पिशाच का भी कलाकारों द्वारा स्वांग रचा गया। करीब 4.35 बजे मां अंबे की सवारी निकाली। इस दौरान कलाकारों द्वारा गाई जा रही भक्तिभाव से सराबोर गरबियों सरवर हिंडोलो गिरवर जैसी गरबियों पर करीब 50 मिनट मां अंबे रमती रहीं। कार्यक्रम को देखने के लिए भक्तगण परिसर में उपस्थित थे।

- Install Android App -

खप्पर की 403 वर्ष पुरानी है परंपरा

भावसार क्षत्रिय समाज द्वारा शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी एवं महानवमी में खप्पर निकालने की परंपरा करीब 403 वर्ष पुरानी है, जो अब भी जारी है। परंपरानुसार मां अंबे का स्वांग रचने वाले कलाकार एक ही पीढ़ी के होते है। शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी को निकले माता के खप्पर में मां अंबे का स्वांग मनोज भावसार एवं आयुष भावसार ने धारण किया। गणेश एवं मां अंबे का स्वांग रचने वाले सर्वप्रथम अधिष्ठाता भगवान सिध्दनाथ महादेव के दर्शन करने के बाद ही निकलते है।