हारे का सहारा श्री श्याम है, कलयुग में दर्शन पूजन का विशेष महत्व है — पंडित कपिल शास्त्री जी, श्री खाटू श्याम जी मंदिर का तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 27 जून से, करीब 80 लाख रुपए की लागत से हुआ है मंदिर निर्माण
पवन प्रजापत मनावर /निमाड़ मालवा क्षेत्र में कलयुग के भगवान श्री खाटू श्याम जी के भक्तों एवं मंदिरों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अभी कुछ समय से देखने में आ रहा है कि श्री खाटू श्याम भगवान के भक्तों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी है। जबकि पूर्व में इन क्षेत्रों में श्री खाटू श्याम भगवान के मंदिर व भक्त बहुत कम थे या नहीं के बराबर थे।
मनावर से करीब 3 किलोमीटर दूर ग्राम कुराड़ाखाल के पास प्रकृति की सुरम्य वादियों में मुख्य सड़क के समीप ही श्री खाटू श्याम मंदिर का निर्माण किया गया है । जिसका तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 27 जून मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है।
मनावर से लेकर अलीराजपुर तक मंदिर स्थापना के लिए देखें स्थान— मंदिर के पंडित श्री कपिल शास्त्री जी बताते हैं कि विश्व के किसी भी मंदिर में कहीं भी चतुर्भुज रूप में श्री हरि विष्णु माता लक्ष्मी के साथ,श्री श्याम और श्री कुबेर भंडारी का एक साथ संगम नहीं है। जबकि इस मंदिर में यह चारों एक साथ स्थापित होंगे जो इस मंदिर को अद्वितीय बनाता है। श्री खाटू श्याम मंदिर के लिए मनावर से लेकर अलीराजपुर तक कई स्थान देखें गए। अब तक जितने भी मंदिर स्थापित किया गए हैं, वह मुख्य सड़क से काफी दूर होते हैं। मंदिर निर्माण के लिए हमारी प्राथमिकता सड़क किनारे की जमीन उपलब्ध होना थी जो हमें मनावर के समीप कुराड़ाखाल से मिली। इसलिए यहां पर मंदिर की स्थापना की गई।
लगभग 80 लाख रुपए लागत आई मंदिर निर्माण में —-पंडित शास्त्री जी बताते हैं कि उक्त मंदिर का निर्माण उज्जैन की मोरवी नंदन जन कल्याण समिति ने किया है। इसके लिए करीब 30 लाख रूपए मूल्य की 18,900 वर्ग फीट जमीन क्रय की गई है। मंदिर निर्माण की कुल लागत करीब ₹80 लाख है । जिसमें 90% समिति ने खर्च किया है बाकी 10% की व्यवस्था मनावर और कुराड़ाखाल के भक्तों के द्वारा की गई है। मंदिर की व्यवस्था और देखभाल संत श्री मोहनदास जी महाराज करेंगे।
राजनगर पत्थर से निर्मित प्रतिमाएं होगी स्थापित —उक्त मंदिर के लिए प्रतिमाएं राजस्थान के जयपुर शहर से क्रय की गई है।उक्त खूबसूरत प्रतिमाएं राजनगर पत्थर से निर्मित है। जमीन से 13 फीट की ऊंचाई पर बाबा खाटू जी श्याम विराजित होंगे। गर्भ गृह की ऊंचाई भी 13 बाय 21 फीट है । मंदिर के नीचे तलघर में ब्राह्मण निवास बनाया गया है। भूमि पूजन के बाद 1 वर्ष के रिकॉर्ड समय में मंदिर बनकर तैयार हो गया है। जबकि बाबा खाटू श्याम जी का मुख्य मंदिर सीकर, राजस्थान में स्थित है।
श्री खाटू श्याम जी की यह है कहानी — महाभारत के अनुसार भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को उनकी माता मोरवी ने आह्वान किया था कि महाभारत के युद्ध में जो भी हार रहा है आप उनका साथ देना। बर्बरीक के पास तीन अद्भुत बाण थे जिससे वह किसी को भी पराजित कर सकते थे।जब यह बात भगवान श्री कृष्ण को पता चली तो उन्होंने बर्बरीक का शीश उनसे मांग लिया ।जिसे बर्बरीक ने उन्हें सहर्ष दे दिया और भगवान कृष्ण से कहा कि मुझे महाभारत का युद्ध देखना है। जिस पर भगवान कृष्ण ने उनके शीश को अमृत पान कराकर एक पहाड़ी पर रख दिया।जहां से उन्होंने संपूर्ण महाभारत के युद्ध को देखा था। इसलिए मंदिरों में केवल उनका शीश स्थापित किया जाता है। चूंकि वह हारों का सहारा बने हैं। इसलिए उन्हें हारे का सहारा श्याम कहा जाता है। कलयुग में उनके पूजन दर्शन का विशेष महत्व है। विशेषकर एकादशी के दिन मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस दिन का अपना विशेष महत्व रहता है।
यह होंगे कार्यक्रम —मंदिर से जुडे भक्त विश्वदीप मिश्रा और राजा पाठक ने बताया कि मंगलवार को प्रातः 8 बजे से ग्राम कुराड़ाखाल से श्री खाटू श्याम वैकुंठ मंदिर तक कलश यात्रा निकाली जाएगी। रात्रि में श्री महाकाल टीम धामनोद द्वारा संगीतमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन होगा। बुधवार को एक दिवसीय श्री खाटू श्याम जी की कथा शाम 7बजे से प्रारंभ होगी ।भगवत आचार्य पंडित श्री नारायण जी व्यास बांगरोद रतलाम द्वारा कथा श्रवण कराई जाएगी। गुरुवार को प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत महायज्ञ की पूर्णाहुति, महाआरती एवं छप्पन भोग प्रसादी का वितरण होगा वही रात्रि में सौरव शर्मा ,दुर्गा गामड़ ,कृतिका राठौड़ और निकिता सिंगार की टीम द्वारा रात्रि 8 बजे से श्री श्याम कीर्तन की प्रस्तुति दी जाएगी।