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◆ बदामी – दाजी राम राम।  बातें हरदे नेमावर की

◆ बदामी – दाजी राम राम। 

दाजी- अरे आ बदामी। कां मंडरा रयो थो । 

◆बदामी – न्हई थो दाजी। हंडिया नेमावर पुल प। 

दाजी – व्हां कई झाँकन गयो थो । 

◆बदामी – दाजी एक बात बताओ । देवास के कन्नौद एसडीओपी व टीम, नेमावर के गुराड़िया में ऑपरेशन प्रहार करके करीब 2 लाख रुपया जुआरी संग चीप लाई ।  पन अपना न्हा असो नि होय। ऑपरेशन बड़ा प्यार से होय। इंधारा म जुआं होन इधर उधर हो जाय, फेर हाथ नि आय बाल।  सिर्फ पत्ता की गड्डी हाथ चढ़े और थोड़ा भोत मुंह दिखाई की जब्ती। 

दाजी – यो तो भोत भारी कई तूने बदामी ! 

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◆बदामी – म न नि कई। असो तो होय है। जान पेचान भी रेय। छूट छाट भी रेय। जुआं-काला माथा की भी यारी प्यारी होय ह। 

दाजी – आज तो तू रंग पे है बदामी। अब तू ही बता काला माथा म भक्क इंधारा म जुआं कसी पकड़ाए ! 

◆बदामी – दाजी, या तो वर्दी की परीक्षा होय।  स्कूल होन म परीक्षा के टेम कसी अनजान साब होन की ड्यूटी लगे। जिससे जान पेचान का लाभ नि मिले और नकल नि होय या होय तो  नकल सट्ट से पकड़ई जाय ।  देबास पुलिस ने भी या टिरिक अपनाई। उनने ऑपरेशन प्रहार में लोकल  जानकार होन ख दूर रख्यो। हवा नि लगन दी। टेम प पाना नि उतरयो तो सब का सब चिपई मरया । 

दाजी- हव, या बड़ी हुसियारी दिखाई देवास पुलिस ने । साबासी तो मिलना चिये सबको। मजदूरों का भेष में रेकर गंज दूर पैदल चली पुलिस।  अपना न्हा ऐसी हुसियारी दिखाने की नन्ना कएल ह काई । 

◆बदामी –  काई मालम दाजी, अपना न्हा जुआं माथा इंधारा पत्ता सब एकमएक लगे, इससे दिक्कत आय।  अपना न्हा भी ऐसा प्रहार की कड़क जरूरत ह। 

दाजी – अपना न्हा भी प्रहार की टीम म  दूर से टीम जमाई ख कार्रवाई होनु चिये। अपना कप्तान ख भी चौकस हो ख ऐसी अभिनव कार्रवाई करानु चिये। जब नाम होय।  न्हा भी टीम में पुराने खिलाड़ियों को असा नाटक करना की और दूसरा नाटक बिल्कुम नि करने की टिरेनिंग मिलनो चईये। है कि नि ।