● बनासकांठा ब्लास्ट – नियमों की अनदेखी धमाके और डेढ़ दर्जन लोगों की मौत पर उठते आमजन के मन में सवाल, अधिवक्ता अवनी बंसल और हरदा के पत्रकार और संदलपुर के जागरूक नागरिक ने उठाए सवाल !
हरदा: हरदा के 6 फरवरी 2024 के ब्लास्ट के बाद जैसे तैसे जीवन पटरी पर आया था लेकिन फिर 1 अप्रैल 2025 काला दिन विस्फोटरूपी मौत बनकर मजदूरों की जिंदगियों पर टूट पड़ा। इस दुर्घटना में जहाँ देवास जिले के संदलपुर के 10 जिनमे एक ही परिवार के 9 लोगों की मौत हुई, वहीं हरदा जिले के हंडिया तहसील के फोकटपुरा में रहने वाले 8 लोग काल कवलित हो गए।
इस भीषण घटना ने फिर से हरदा वासियों को दहला दिया। मिली जानकारी में इस बार देवास जिले के संदलपुर जो हंडिया से नजदीक है। दोनों जगह के मजदूरों को एजेंट द्वारा गुजरात ले जाया गया।
◆ आमजन की चर्चा में उठे सवाल –
इस घटना के बाद चौक चौराहों पर घटना को लेकर चर्चा के दौर शुरू हो चुके हैं। इस बातचीत में सबसे अहम यह मुद्दा चर्चा में रहा कई जब राजेश अग्रवाल मेडिकल ग्राउंड पर सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर हैं तो जमानत मिलने के बाद वे इलाज हेतु कहां कहाँ गए ? राजेश अग्रवाल गुर्दे के रोग से ग्रस्त हैं तो उनका डायलेसिस कब कब और कहाँ कहाँ हुआ ?
इस दौरान उन्होंने कहाँ कहाँ यात्रा की? उनके मोबाइल की कॉल डिटेल से जमानत के दौरान उन्होंने कब कब और किससे बात की है। पुलिस को इस ब्यौरे की जांच करना चाहिए। क्या राजेश अग्रवाल गुजरात भी गए थे। वहां इलाज के लिए गए थे तो कहां कहां गए? किस किस से मिले? ये ऐसे सवाल हैं जिनका अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना से सीधा संबंध है। वजह साफ है कि ये मजदूर हरदा ब्लास्ट के बाद फ्री बैठे थे या अन्य कार्य कर रहे थे। चूंकि ये ट्रेंड मजदूर थे अतः इनको काम पर लगाना और काम लेना आसान था। हरदा ब्लास्ट के बाद राजेश अग्रवाल के फरार होने, गिरफ्तार होने आदि घटनाक्रम हरदावासियों को याद हैं।
चर्चा में एक बड़ा सवाल फटाका फेक्ट्री में जो लायसेंस था वो सामग्री विक्रय के लिए था फिर व्हां निर्माण कार्य किस तरह चल रहा था। दुर्घटना के कुछ दिन पहले जांच इकाईयों ने फेक्ट्री का निरीक्षण किया था। उन्हें व्हां कुछ कमियां नहीं दिखी इस बात को लेकर जमके चर्चा रही। इधर चर्चा में फटाका फेक्ट्री में बायलर के उपयोग को लेकर भी आश्चर्यमिश्रित बातचीत के दौर चले। इधर हरदा में एक नामी फटाका व्यापारी के गुजरात से हरदा में किसी को वीडियो कॉलिंग करने की भी खूब चर्चा रही।
फेक्ट्री में मजदूरों के लिए वहीं खाना बनाने की बात भी चर्चा में रही। फेक्ट्री में कितना बारूद था, विक्रय करने की जगह पर किस आदेश से निर्माण कार्य संचालित था। ये सवाल अनुत्तरित हैं।
कुल मिलाकर चल रही जनचर्चा में राजेश अग्रवाल के गुजरात से कनेक्शन देखे जा रहे हैं। हालांकि ये पुलिस जांच का अहम बिंदु है।
◆ क्या लिखा हरदा के पत्रकार ने फेसबुक पर –
*कुजरगाव का अधिकांश माल गुजरात की फेक्ट्री में गया इतना ही नहीं मजदूरों को ले जाने में भी ठेकेदार ओर हरदा पटाखा फैक्ट्री से जुड़े लोगों की अहम् भूमिका है*
कुंजर गांव फेक्ट्री में कार्यरत मजदूरों को लेकर गये मजदूरों को तनख्वाह का लालच दिया गया हरदा जिलाधिकारी आदित्य सिंह ओर पुलिस अधीक्षक अभिनव चौकसे को इस मामले में संज्ञान लेते हुए मजदूरों को ले जाने अग्रवाल बन्धुओं से जुड़े हैं जिन्होंने कुंजर गांव फेक्ट्री सील होने के बाद लाखों का माल बेचा था वहां पर एक महिला ओर हरदा के तीन चार लोगों ने आपने कमीशन के लालच में इन मजदूरों को लेकर गये जिसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि कुछ लोग बाहर रहकर बंद फेक्ट्री का लाखों का माल इधर-उधर करने में लगे रहे हैं ओर गुजरात की फेक्ट्री में जो जान गयी इन कमीशनखोरी करने वाले मजदूरों को भ्रमित कर लें गये थे अब प्रशासन को इनकी तलाश करना चाहिए क्योंकि पूरे प्रदेश में इनका नेटवर्क अवैध बारुद का हरदा से चर्चा में है जो प्रशासन के लिए चुनौती है ।
फेसबुक/व्हाट्सएप्प पर लिखकर किया पोस्ट
– डी एस चौहान पत्रकार हरदा
◆क्या सवाल उठाए संदलपुर के जागरूक नागरिक ने –
– पहले हरदा फटका फैक्ट्री में आग लगने से कई लोगों की मौत उसमे भी भ्रष्ट अधिकारी की साठगांठ से फैक्ट्री के बद इंतजाम का मामला आया था। पहला सवाल इस तरह की खतरनाक फटाका फैक्ट्री में 18 वर्ष से कम उम्र के लोग काम करना तो दूर,18वर्ष से कम उम्र का कोई भी व्यक्त अंदर नहीं जा सकता तो बच्चे कैसे उस फैक्ट्री में मौजूद थे। दूसरा सवाल इस तरह की खतरनाक फटका फैक्ट्री में फटका बनाने का जरूरी कच्चा मॉल माने बारूद और बना हुआ फाटका (पक्का मॉल) रखने की लिमिट भी तय है। तीसरा सवाल फटका बनाने का बारूद का भंडारण का स्थान और बने फ़टाके का भंडारण का स्थान की दूरी भी, फ़टाके बनाने वाले मजदूर के स्थान से कितनी दूर होना चाहिए ये भी नियम अनुसार तय है तो कैसे फटाका फैक्ट्री में ये सब एक जगह होते है। माने क्यों सावधानीयां नहीं रखी जाती क्यों लोग अपने लालच में लोगो की जान से खेल रहे है। जब फ़टाके के लिए कितना कच्चा मॉल उस फैक्ट्री में होना चाहिए, कितनी दूरी पर होना चाहिए, वहां कोई भी 18बर्ष से कम उम्र का काम नहीं कर सकता तो कैसे हरदा फैक्ट्री और खूबचंद और दीपक सिंधी बनासकांठा गुजरात ने सारी हद पार कर दी जिस संवेदनशील कारखाने 18 बर्ष से कम काम तो दूर प्रवेश नहीं कर सकते वहां 2बर्ष, 5बर्ष,11बर्ष के बच्चे कैसे मौजूद थे। फैक्ट्री चलाने कोई रिन्यू भी नहीं कराया गया, एक पक्ष ओर जिम्मेदार है। 12 मार्च को स्थानीय अधिकारियों ने खूबचंद और दीपक सिंधी बनासकांठा गुजरात फैक्ट्री का निरीक्षण किया पर वो लीपापोती कर आ गए यदि वो इतनी खतरनाक फैक्ट्री को सील नहीं करके आए, यदि फैक्ट्री को सील किया जाता तो शायद ये हादसा टल भी सकता था। अधिकारी दौरा अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह न करना भी दुर्घटना होने के लिए जिम्मेदार था। मुझे लगता है कि लीपापोती का मतलब भ्रष्टाचार, देश में कई लोगो की जान लेने का कारण भ्रष्टाचार भी बनता जा रहा है। कई लोगों की जान से खेल कर लोग ऐसे उद्योगों की इमानदारी से निरीक्षण नहीं कर रहे हैं। जो लोगों की जान ले सकते है? इस तरह के उद्योगों चलाने के लिए जिस तरह की सावधानियों की जरूरत है उस पर लीपापोती कर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी लोगों की जान से खेल रहे है इस दुर्घटना के लिए वो अधिकारी भी जिम्मेदार है जो लीपापोती कर 12 मार्च को फैक्ट्री से आए उन अधिकारियों पर भी फैक्ट्री मालिक के साथ साथ 18 लोगो की हत्या का केस चलना चाहिए। इन अधिकारियों पर अपने कर्तव्यों का उचित निर्वाह न करने का केश बनता जो इरादातन हत्या का केश बनना चाहिए । ऐसे संवेदनशील अन्य हादसे जो किसी भ्रष्ट लोगों के कारण होते है उन सब पर इरादतन हत्या का केस होना चाहिए ।
– गजानंद यादव ने फेसबुक पर लिखा पोस्ट
■ गुजरात और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनी बंसल के सवाल –
◆ क्या आप गुजरात के बनासकांठा में पटाखा फैक्ट्री में हुई दुर्घटना में मारे गए लोगों की वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिए फोरेंसिक जांच करवाएंगे?
◆ बनासकांठा फैक्ट्री के मालिकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी या उन्हें राजनीतिक संरक्षण दिया जाएगा?
◆ क्या यह पता लगाने के लिए उचित जांच की जाएगी कि क्या हरदा, मध्य प्रदेश पटाखा फैक्ट्री मामले में मुख्य आरोपी राजेश अग्रवाल ने इन श्रमिकों को गुजरात भेजा था और पिछले साल हुए विस्फोट के बाद अदालत के आदेश के बाद से मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत पर बाहर होने के बावजूद भी काम कर रहा है?
◆ कानून के खिलाफ अपनी फैक्ट्री में छोटे बच्चों को काम पर रखने वाले पटाखा फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी?
◆ क्या पीड़ितों को उचित मुआवजे के लिए अदालतों में लड़ाई लड़नी पड़ेगी या सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाएगा?
◆ क्या यह एक और पटाखा विस्फोट बन जाएगा या न्याय होगा? और भविष्य में ऐसे विस्फोटों से बचने के लिए निवारक उपाय किए जाएंगे ।
◆ हरदा ब्लास्ट का आरोपी मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम ज़मानत पर है और जानकारी के अनुसार उसी ने गुजरात लेबर पहुँचायी थी I गुजरात और मध्य प्रदेश पुलिस को तुरंत इस बात की पुष्टि करनी चाहिए और सख्त कार्यवाही करनी चाहिए I
◆ केंद्र सरकार को भी ये सोचना पड़ेगा की आखिर जगह जगह फैक्ट्री ब्लास्ट क्यों हो रहे है? एक्सप्लोज़िव्स अधिनियम होने के बाद भी, फैक्ट्री चलाने के नियमों को ताक पर क्यों रखा जा रहा है?
क्या मजदूरों की जान की कोई कीमत नहीं है? हरदा ब्लास्ट के समय मुख्य मंत्री से लेकर प्रधान मंत्री तक पीड़ितों को उचित मुआवज़ा देने का वादा किया था I इस बीच मोदी जी हरदा आकर भी चले गए लेकिन पीड़ित कोर्ट के चक्कर ही लगा रहे है I क्या गुजरात में हरदा दोहराया जाएगा?