जुड़वा भाईयो की मौत: बडे़ भाई सूरज की मौत की खबर चांद सह नही पाया, अगले दिन का सूरज उंगने से पहले शरीर छोड़ा
जुड़वा भाइयों ने आखिरी सांस तक निभाया साथ, ‘सूरज’ की मौत की खबर मिलते ही ‘चांद’ ने भी छोड़ी दुनिया
मकड़ाई समाचार राजस्थान।हम जुड़वा भाईयो की कहानी फिल्मों मंे ही देखते आए है जहां एक को चोट लगे तो दूसरे को भी अहसास होता है। ऐसा ही एक मामला जो हमे असल जिंदगी में सावरंदा के दो भाईयों में देखने को मिला है। सावरंदा निवासी दो जुड़वा भाई सूरज और चांद की कहानी कुछ इसी तरह ही थी।प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों एक साथ दुनिया में आए और 90 साल की उम्र में रविवार को सूरज की जिदंगी की सांझ ढली तो छोटा भाई चांद सदमा सह नहीं पाया और सोमवार सुबह सूरज उगने से पहले ही चांद ने भी दुनिया छोड़ दी। दोनों भाइयों की 12 घंटे के बीच हुई मौत चर्चा का विषय बनी हुई है।
बताया जा रहा है कि मौजमाबाद के सावरदा में रामदेव साहू के घर 1933 में दो जुड़वा बेटे हुए। बड़े का नाम सूरज और छोटे का नाम चांद रखा गया। दोनों के आचार-विचार भी समान थे। ग्रामीणों की मानें तो दोनों भाइयों में यदि एक बीमार होता तो कुछ घंटों ही दूसरा भाई भी बीमार पड़ जाता था।
करीब 90 वर्षीय बुजुर्ग सूरज की बीमारी के चलते रविवार शाम 5 बजे मौत हो गई। परिजन ने अंतिम संस्कार किया तो छोटे भाई चांद को पता चला कि सूरज नहीं रहा तो सदमा लगने से सोमवार सुबह 5 बजे उसने भी दुनिया छोड़ दी। सूरज और चांद की शादी हरमाड़ा गांव में दो सगी बहनों से हुई थी। सूरज के तीन पुत्र हैं जबकि चांद के आठ पुत्र हैं।दोनो बुजुर्गो की मौत से परिवार सदमें में है वही दोनो जुड़वा भाई की एक साथ मौत भी लोगो के लिए रहस्यमयी लग रही है।ईश्वर के इस अनूठे निर्णय को लोग नतमस्तक कर रहे है।