25 वर्षीय सलोनी भंडारी ने सांसारिक रिश्तों का त्याग कर बनी साध्वी, अब बन गई परम पूज्या साध्वी मल्लीदर्शना श्रीजी
उज्जैन : 25 वर्षीय सलोनी भंडारी ने सांसारिक रिश्तों का त्याग कर साध्वी दीक्षा अंगीकार की है। 48 दिन पहले से वे संसाधनों के उपभोग से दूर होने का अभ्यास कर रही थीं, इसके लिए उप-ध्यान किया है।
ना वाहन, ना इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ना किसी तरह की विलासिता और अब केवल आजीवन पैदल विहार के साथ मंदिर उपाश्रय में ही प्रवास जैसे कठिन नियमों को जानने के बाद भी उज्जैन की सलोनी भंडारी ने साध्वी दीक्षा अंगीकार करने का कठिन निर्णय लिया। वे अब परम पूज्या साध्वी मल्लीदर्शना श्रीजी बन गईं। पिछले पांच दिनों से इस दीक्षा महोत्सव के तहत नगर में विभिन्न कार्यक्रम मनोरमा व महाकाल मंडपम में आयोजित हो रहे थे। बुधवार को आखिर वह समय आ ही गया जब सलोनी ने मुख्य दीक्षा ग्रहण कर सांसारिक रिश्तों को त्याग कर केवल धर्म के उद्देश्य के लिए सादा जीवन जीने के लिए साध्वी की दीक्षा ग्रहण कर ली। परम पूज्य आचार्य मतिचंद्र सागर सूरीश्वर, अध्यात्म योगी गणिवर्य आदर्श रत्न सागर व साध्वी मुक्ति दर्शना श्रीजी के साथ ही अन्य गुरुवर की मुख्य उपस्थिति में यह दीक्षा महोत्सव आयोजित किया गया था।
खबर फोटो स्त्रोत@अमर उजाला