ब्रेकिंग
मूंग खरीदी की मांग: किसान आक्रोश मोर्चा ने दिखाया अपना आक्रोश, मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार की अर्थी नि... हरदा: कलेक्टर श्री जैन ने जनसुनवाई में सुनी नागरिकों की समस्याएं Big breaking news: छिपाबड़ थाना क्षेत्र के एक गांव में युवक की संदिग्ध लाश मिली, गले में चोट के निशान... हंडिया: खोट पर ली हुई जमीन पर पड़ोसी किसान कर रहा जबरजस्ती कब्जा, दे रहा जान से मारने की धमकी, पीड़ि... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 10 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है। आपके भाग्य के सितारे इंदौर में नकली फोन पे एप से लाखो की ठगी! दुकानदार पैट्रोल पम्प कर्मचारियो से ठगी करने वाले गिरोह का ... हरदा: खेतों में नरवाई जलाने वालों के विरूद्ध कार्यवाही करें व अर्थदण्ड लगाएं बड़ी खबर: हरदा पुलिस की मेहनत रंग लाई, वर्षों से फरार 11  स्थायी वारंटियों को पकड़ा , न्यायालय किया ... जयश ने टिमरनी थाने का घेराव किया, बैतूल निवासी मजदूर की जिले के एक कृषक के खेत में काम करने के दौरान... राष्ट्रीय स्तरीय बैलगाड़ी दौड़ पहला इनाम राजेश सिरोही भोंनखेड़ी, और रामकृष्ण मांजू पीपलघटा की बैल जो...

प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल की ससुराल में हर साल मनता है संत आत्माराम बाबा का जन्मोत्सव

निशान लेकर घर घर पहुंचते हैं मंत्री पटेल

मकड़ाई समाचार हरदा/भोपाल। संत आत्माराम बाबा, सिंगाजी महाराज, बुखार दास बाबा, रामदेव बाबा के सिद्ध समकालीन संत थे। इनका जन्म हरदा जिले की के एक छोटे गांव अहलबाड़ा मे हुआ था। जो अब कृषि मंत्री एवं किसान नेता कमल पटेल की ससुराल है। संत आत्माराम बाबा ने नर्मदा किनारे नेमावर में महल घाट के पास जीवित समाधि ली थी। प्रतिवर्ष शुक्ल एकादशी के दिन से लेकर चार दिन तक पूरे गांव में धार्मिक महोत्सव का माहौल रहता है। पहले दिन जन्मोत्सव शुरू होता है। इस दिन पताका जिसे निशान कहते हैं पूरे गांव के घर-घर दरवाजे पर पहुंचती है जिसे सभी लोग निशान को पूज्यते हुए निशान लेकर चल रहे व्यक्ति का विधिवत अभिषेक करते हैं।

- Install Android App -

प्रति वर्ष की भांति इस बार भी गांव के जमाई राजा कमल पटेल अपनी ससुराल पहुंचे और विधिवत पूजन अर्चन कर पूरे गांव में निशान लेकर चले और घर घर पहुंचते हुए निशान को पुजवाते हुए मंदिर पर पहुंचे और निशान को समर्पित कर आरती की। साथ ही चल रहे भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया।

वही गांव के किसान अंशुल पटेल बताते हैं कि संत आत्माराम बाबा के ऊपर लिखी गई पुस्तक के अनुसार यह प्रथा 1783 से चली आ रही है। जो आगे भी चलती रहेगी। वे बताते हैं कि गांव में चार दिन तक भंडारे के साथ-साथ भजन कीर्तन का आयोजन होता है। जिसमें हजारों की संख्या में साधु संत और क्षेत्र की जनता शामिल होती है।