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पत्नियां गुजारा भत्ता मांगती हैं तो पति कहते हैं हम कंगाल हो गए: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब अलग रह रही पत्नियां गुजारा भत्ते की मांग करती हैं तो पति कहने लगते हैं कि वे आर्थिक तंगी में जी रहे हैं या कंगाल हो गए हैं। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एक प्रतिष्ठित अस्पताल में काम करने वाले हैदराबाद के एक डाक्टर को यह नसीहत देते हुए की कि वह सिर्फ इसलिए नौकरी नहीं छोड़ दे क्योंकि उसकी पत्नी गुजारा भत्ता मांग रही है। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से पारित उस आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया जिसमें डाक्टर को निर्देश दिया गया था कि वह अलग रह रही अपनी पत्नी को गुजारे के लिए अंतरिम तौर पर 15,000 रुपए प्रतिमाह दे।

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पीठ ने कहा कि हमें बताएं कि आज के वक्त में क्या किसी बच्चे का पालन-पोषण महज 15,000 रुपए में करना संभव है?’’ याचिकाकर्त्ता पति के वकील ने कहा कि अंतरिम सहायता के तौर पर तय की गई राशि बहुत ज्यादा है और सुप्रीम कोर्ट को उच्च न्यायालय का आदेश दरकिनार कर देना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एक प्रतिष्ठित अस्पताल में डॉक्टर है और वैसे भी यह अंतरिम आदेश है जिसमें दखल की जरूरत नहीं है। शीर्ष अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।