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नर्मदापुरम मे बड़ी कार्रवाई तो सीहोर जिले में सागोंन माफिया ने कीमती सागौन में लगाई आग, भेरूंदा का वन विभाग सोया हुआ है कुंभकर्ण की नींद, आखिर कब जागेगा

मोहन गुर्जर की खास खबर भेरूंदा से लौटकर

सीहोर/नर्मदापुरम  मध्यप्रदेश के दो पड़ोसी जिलों – नर्मदापुरम और सीहोर – में सागौन की अवैध कटाई और तस्करी को लेकर वन विभाग की कार्रवाई में ज़मीन-आसमान का फर्क दिखाई दे रहा है। एक ओर नर्मदापुरम में सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सीहोर में माफिया के इशारे पर उसके गुर्गे सरेआम सागौन जलाने जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे है।

जिसके वीडियो फोटो भी सामने आ चुके। उसके बाद भी वन विभाग कुंभकर्ण की नींद सोया हुआ है। बीते कल भी मकड़ाई एक्सप्रेस ने प्रमुखता से खबर प्रकाशन कर  जिम्मेदारों का ध्यान आकर्षित कराया था। लेकिन इसके बाद भी उनके कानों की जू तक नहीं रेगी। इससे स्पष्ट होता है। की वन विभाग के स्थानीय अधिकारियों का खुला संरक्षण सागौन माफिया को है।  देखना होगा कि क्या जिम्मेदार अधिकारी सागौन माफिया पर कब कार्यवाही करेगे। या फिर सागौन माफिया के इशारे पर उसके हाथों की कठपुतली बने रहेंगे।

नर्मदापुरम सख्त कार्रवाई की मिसाल

वन परिक्षेत्र बनापुरा की बोरकुंडा बीट से अवैध रूप से काटे गए सागौन के लठ्ठों को पिकअप वाहन से ले जाया जा रहा था। नंदरवाड़ा नाके के पास टायर पंचर हो जाने से लकड़ियाँ वहीं छोड़ दी गईं और आरोपी फरार हो गए।

इस पर नर्मदापुरम के वरिष्ठ अधिकारियो के नेतृत्व में विशेष टीम बनाई गई। टीम ने तकनीकी साक्ष्यों और निगरानी के जरिए 15 आरोपियों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया।साथ ही, पिकअप वाहन को जब्त कर राजसात करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

सीहोर वन माफियाओं की बेलगाम तस्करी और आगजनी

नर्मदापुरम की कार्रवाई से बौखलाए सीहोर जिले के भैरूदां क्षेत्र के एक कुख्यात वन माफिया ने अपने पिकअप में लाए सागौन के कीमती लठ्ठों को खेतों में ले जाकर आग के हवाले कर दिया। यह घटना कैमरे में कैद हुई और सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि सीहोर वन विभाग ने अब तक इस घटना पर कोई संज्ञान नहीं लिया है। इस चुप्पी के पीछे विभागीय मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं।

 

सूत्रों का खुलासा विभाग और माफिया की साठगांठ?

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गोपनीय सूत्रों का दावा है कि सीहोर जिले के कुछ वन अधिकारी और कर्मचारी एक विशेष वन माफिया के साथ आर्थिक संबंध में हैं।

 

रात के समय लाड़कुई वन परिक्षेत्र से लकड़ी लादकर भैरूदां भेजी जाती है।

पूर्व मे एक अधिकारी को इस गतिविधि की शिकायत दी गई थी, लेकिन उसने कार्रवाई के बजाय माफिया को सूचना देकर गोडाउन खाली करवा दिया।जिसका विडियो भी शिकायत देने वाले एवं पत्रकारो के पास सैफ है पर बड़ी बात तो यह कि जब अधिकारी को इसकी शिकायत दी थी तो वह वन माफिया तक कैसी पंहुची उसने तत्तकाल पिकप लगाकर अवैध सागोंन भरकर भाग निकला।वह विडियो भी मोजूद है।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

नर्मदापुरम वन विभाग की तत्परता को प्रशंसा मिल रही है, लेकिन सीहोर विभाग की निष्क्रियता संदेहास्पद है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बावजूद कोई एफआईआर, छापा या पूछताछ तक नहीं हुई है।

जनता के मन मे सवाल

सीहोर जिले में उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। भैरूदां के वन माफिया और अधिकारियों की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की जांच हो, नर्मदापुरम जैसी कार्रवाई सीहोर में भी सुनिश्चित की जाए ताकि सागौन जैसी कीमती वनसंपदा की रक्षा हो सके।

मध्यप्रदेश की वनसंपदा को बचाने के लिए सिर्फ एक जिले की मुस्तैदी काफी नहीं है। जब तक हर जिला वन विभाग पारदर्शिता और कठोरता नहीं अपनाता, तब तक जंगल तस्करों की गिरफ्त में रहेंगे। यह रिपोर्ट शासन, प्रशासन और समाज – सभी से जवाब मांगती है।

इनका कहना है।

मुझे जानकारी नही है आपके माध्यम से जानकारी मिली है जो विडियो सोशल मिडिया पर वायरल हो रहे है आप मुझे भैजो मे DFOसे चैक कराता हू..
राकेश खरे CCF भोपाल