रायसेन। एक बेटा, जो बचपन से पुलिस में जाना चाहता था उसने अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए खुद के सपने को पीछे कर दिया। पिता चाहते थे कि बेटा डॉक्टर बने। 15 साल की उम्र में जब एक हादसे में पिता का साया सिर से उठ गया तो बेटे ने पुलिस में जाने के अपने सपने को पीछे कर दिया। उसने पहले एमबीबीएस किया और डॉक्टर बनकर एक साल तक मरीजों की सेवा की। इस दौरान बेटे ने अपने सपने को भी मरने नहीं दिया।
डॉक्टरी करते हुए पुलिस सेवा में जाने की तैयारी की और डीएसपी का पद प्राप्त किया। आज फादर्स-डे पर मिसाल है यह बेटा जो पिता और अपने दोनों सपनों को पूरा कर पाया। हादसे में हुई पिता व भाई की मौत डीएसपी जितेंद्र जाट के पिता स्व. इंद्रपाल सिंह जाट रायसेन के पास ग्राम खरगावली में कृषक थे।
वर्ष 2005 में अपने सबसे बड़े बेटे धर्मेंद्र सिंह जाट के साथ वे भोपाल में पीएमटी की कोचिंग कर रहे जितेंद्र से मिलने जा रहे थे। भोपाल मार्ग पर कुसयारी के पास एक सड़क हादसे में दोनों का निधन हो गया। पिता और बड़े भाई की मौत के बाद मंझले बेटे महेंद्र ने परिवार को संभालने का जिम्मा लिया तो जितेंद्र पिता का सपना पूरा करने में जुट गए। वर्ष 2007 में जितेंद्र का चयन पीएमटी (प्री-मेडिकल टेस्ट) में हो गया।
जितेंद्र ने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करके एक साल तक भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मरीजों की सेवा की। इसके बाद एक साल का अवकाश लेकर 2013 में पीएससी की कोचिंग करने दिल्ली चले गए। 2014 में उनका चयन डीएसपी पद के लिए हो गया। इसके बाद डॉक्टरी से इस्तीफा देकर जितेंद्र ने पुलिस सेवा शुरू की। बालाघाट में एसडीओपी पदस्थ जितेंद्र जाट वर्तमान में बालाघाट जिले में एसडीओपी के रूप में पदस्थ हैं।
लॉकडाउन के दौरान रायसेन में रह जाने के कारण उन्होंने करीब दो माह कोरोना वॉरियर्स के रूप में भी अपनी सेवाएं भी दी।
बहन, भाइयों ने नहीं छोड़ी कोई कसर
महेंद्र, जितेंद्र और बहन किरण ने मां को संभालकर पिता के सपनों को पूरा करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।मंझले बेटे महेंद्र ने खेती और परिवार की जिम्मेदारी संभाली। पहले जितेंद्र डॉक्टर बने फिर डीएसपी बनकर पुलिस में सेवा दे रहे हैं। वहीं बहन किरण ने एमबीबीएस कर पीजी किया। वे वर्तमान में जिला चिकित्सालय रायसेन में चिकित्सक के रूप में पदस्थ हैं।