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पति का सांवला रंग देख पत्नी ने ससुराल में रहने किया इंकार, लोकअदालत में फिर एक हुए दंपती

मकड़ाई समाचार दमोह। लोक अदालत इस बार भी दो बिछड़े दंपती को फिर से एक करने में कारगर रही है। यहां चार सालों से अलग रहने वाले दंपती फिर एक हुए हैं। दरअसल अशोक का विवाह दमोह के बांदकपुर की क्रांति के साथ वर्ष 2017 हुआ था, लेकि न विवाह में पति का सांवला रंग नवविवाहिता को रास नहीं आया। बस यहीं से दोनों में छोटे- छोटे झगड़े शुरु हुए और घर की लड़ाई चार दीवारी से निकलकर अदालत तक पहुंच गई। 2018 से 2021 तक दोनों पक्षों में मुकदमे बाजी होती रही।

दहेज के मामले से लेकर घरेलू हिंसा और मेंटनेंस के मुकदमे दोनों पक्षों में चले। वहीं बात तलाक तक पहुंच गई वर पक्ष ने लड़की को कभी साथ न रखने की जिद पकड़ ली और पति भी कहने लगा के उसकी पत्नी को यदि रुप का गुरुर है तो वह भी उसके साथ नहीं रहेगा। मामला अदालत में चलते- चलते ढाई साल हो गए।

तब पति पक्ष के अधिवक्ता मनीष नगाइच ने दोनों को बिठाकर उनका पक्ष सुना और मीडिएशन कर कु छ दिन साथ साथ रहने को राजी कि या और तरकीब सफल भी रही। पिछले छह माह पूर्व दोनों दिल्ली में जाकर रहने लगे इसी बीच पत्नी गर्भवती हुई और दोनों की खटास अब मिठास में बदल चुकी थी। वही लोक अदालत के बारे में जानकारी होने पर दोनों पक्ष न्यायालय पहुंचे और प्रधान न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे व सामाजिक कार्यकर्ता राजेश खरे की लोक अदालत पीठ में हाजिर हुए। अधिवक्ता मनीष नगाइच, मुके श पांडेय द्वारा राजीनामा प्रपत्र प्रस्तुत कर दोनों को विदा कि या।

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जब न्यायालय परिवार बना राजीनामा का गवाह

दोनो पक्षों में राजीनामा होने के बाद उन्हें प्रधान न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे, अपर सत्र न्यायाधीश नवीन पारासर, रजनी प्रकाश बाथम की उपस्थिति में वरमाला डाली गई। न्यायालय परिवार ढोल नगाड़ों के साथ मंदिर पहुंचा व दोनों पक्षों को उनके सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद दिया।

राजीनामा पर मिली फलदार पौधे की भेंट

विधिक सेवा की ओर से दोनों पक्षो को न्याधीश रजनी प्रकाश बाथम द्वारा आम का पौधा भेंट में देकर विदाई की। प्रकरण के सफल राजीनामा के लिए अधिवक्ता मनीष नगाइच, पुष्पेंद्र अठ्या, लक्ष्मीकांत तिवारी व पंकज खरे ने समझाइश व मीडिएशन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।