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ऑफ द रिकॉर्डः CBI निदेशक वर्मा खोल सकते हैं भेद, PMO के अधिकारी का लिया नाम

जब्री छुट्टी पर भेजे गए सी.बी.आई. के निदेशक आलोक वर्मा सी.वी.सी. के साथ इस बात को लेकर बहुत नाराज हैं कि उन्होंने उन घटनाओं के बाद के उन बहुत से प्रश्रों को लेकर पूछताछ की जो 24 अगस्त के बाद हुई थीं। वर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सी.वी.सी. को विशेष रूप से निर्देश दिया था कि वह 24 अगस्त के राकेश अस्थाना के पत्र में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करे। अस्थाना ने 24 अगस्त को कैबिनेट सचिव को लिखे अपने पत्र में वर्मा के खिलाफ 9 आरोप लगाए थे। कैबिनेट सचिव ने इस पत्र को जांच के लिए 31 अगस्त को सी.वी.सी. के पास भेज दिया लेकिन वर्मा इस बात को लेकर दुखी हैं कि पत्र में उल्लेखित आरोपों में से एक भी प्रश्र पर उनसे पूछताछ नहीं की गई।

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सी.वी.सी. ने उन आरोपों के बारे में जांच की जो अस्थाना ने 24 अगस्त के बाद लगाए थे जिससे जांच का आधार बढ़ा जो उनके क्षेत्राधिकार से बाहर थे। वर्मा ने सी.वी.सी. में स्वतंत्र जांचकत्र्ता के रूप में उनकी ईमानदारी पर भी प्रश्र उठाए और संकेत दिया कि मुख्य सतर्कता आयोग के प्रमुख के.वी. चौधरी की राकेश अस्थाना के साथ सांठ-गांठ है। वर्मा ने इस बात पर भी रोष व्यक्त किया कि सी.वी.सी. और डी.ओ. पी.टी., जो सीधे पी.एम.ओ. के तहत हैं, ने अस्थाना की 2017 में सी.बी.आई. के विशेष निदेशक पद की नियुक्ति पर भी आपत्ति को दरकिनार किया। इसके बावजूद तथ्य यह है कि उन्होंने स्पष्ट किया कि अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के कम से कम 6 मामले हैं। के.वी. चौधरी भी उस समय विवादों के बीच संलिप्त थे जब उन पर सहारा-बिरला डायरी मामले में सबूतों को जलाने का आरोप लगाया गया था। उल्लेखनीय है कि छापों के दौरान परिसरों में 40 करोड़ रुपए नकद और डायरी बरामद की गई थी जिसमें कई बड़े अधिकारियों के नाम दर्ज थे। यह मामला दबा दिया गया और मोदी सरकार द्वारा चौधरी को सी.वी.सी. के रूप में नियुक्त कर पुरस्कृत किया गया।

वर्मा खोल सकते हैं भेद, PMO के अधिकारी का लिया नाम
आलोक वर्मा ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पी.एम.ओ.) के एक ‘उच्चाधिकारी’ लालू प्रसाद यादव से संबंधित आई.आर.सी.टी.सी. मामले की निरंतर निगरानी कर रहे हैं और रेलवे अधिकारी राकेश सक्सेना दैनिक आधार पर रिपोर्ट बना रहे हैं। जांच के दौरान सी.वी.सी. को अपने लिखित बयान में वर्मा ने इस सीमा पर आगे बढ़ते हुए कहा कि अगर और जांच की गई तो वह पी.एम.ओ. के अधिकारी का नाम भी बता सकते हैं। वर्मा का कहना है कि वह इस मामले के दूरगामी राजनीतिक परिणाम को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक भाजपा नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और पी.एम.ओ. में उच्चाधिकारी लालू के खिलाफ मामले की लगातार पैरवी कर रहे हैं और वह इसे आगे ले जाने की प्रक्रिया चाहते हैं। मैं उचित प्रक्रिया का अनुसरण किए बिना मामले में आगे नहीं जाना चाहता।