ब्रेकिंग
हंडिया: धार्मिक नगरी में रंग और गुलाल के साथ धूमधाम से मनाया गया रंगों का महापर्व होली! MP BIG NEWS: होली का रंग हुआ भंग एक परिवार के पति पत्नि और बेटी की सड़क हादसे में मौत 3 अन्य घायल, ग... हंडिया: हंडिया पुलिस ने बाइक सवार युवक के पास से पकड़ी ड्रग्स ,केस दर्ज Big news हरदा: दुखद घटना , होली का रंग हुआ भंग, दोस्त के साथ होली खेलने गए 17 वर्षीय युवक की दीवार ... PM किसान योजना में 15 अप्रैल से शुरू होगा नया अभियान, पिछली किस्तें भी मिलेंगी। जानिए कैसे करें आवेद... लाडली बहनों के लिए खुशखबरी! ₹5000 अलग से मिलेंगे! CM मोहन यादव का बड़ा ऐलान! लाडली बहना योजना हंडिया होली पूजन:श्रद्धालुओं ने सपरिवार किया होलिका का पूजन, कल सुबह होगा होलिका दहन हरदा: विस्फोट दुर्घटना प्रभावित परिवारों के खाते में 97.18 लाख रू.जमा कराए गये नर्मदापुरम से हरदा तक बनेगी पक्की सड़क :  42 करोड़ 56 लाख से सड़क का होगा निर्माण  हरदा: मदिरा के अवैध विक्रय व संग्रहण के विरूद्ध 10 प्रकरण दर्ज

अंतिम संस्कार के 48 साल बाद अचानक घर लौटा शख्स‚ परिवार रह गया हैरान

मकड़ाई समाचार उत्तराखंड। उत्तराखंड में अल्मोड़ा जनपद के रानीखेत इलाके में बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां करीब 24 साल पहले जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार परिवार वालों ने कर दिया था वह व्यक्ति अचानक से वापस लौट आया। इतने लंबे समय बाद अचानक लौटे शख्स को देखकर परिवार सहित पूरा गांव भी हैरान रह गया। दशकों से विधवा बनकर रह रही पत्नी की आँखों में भी आंसू आ गए।

दरअसल रानीखेत इलाके में रहने वाले 72 वर्षीय माधो सिंह मेहरा की उम्र जब 24 साल थी तब उनका पारिवारिक विवाद हो गया था। विवाद के चलते माधो सिंह मेहरा घर से चला गया। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक परिवार वालों ने करीब 10 साल तक उसका इंतजार किया लेकिन माधो घर वापस नहीं लौटा।

इस बीच माधव के परिवार ने उसे मरा समझकर पंडित से सलाह की। पंडित ने भी परिवार को माधव के अंतिम संस्कार करने की सलाह दे दी। इसके बाद माधो को मृत घोषित कर स्थानीय रीति अनुसार सभी अंतिम क्रियाकर्म पूरे किए गए। माधो की पत्नी ने भी उसे मरा समझकर विधवा का रूप धारण कर लिया।

- Install Android App -

शनिवार को इस हालत में मिला माधो

शनिवार को एक खेत में कुछ लोग पहुंचे तो वहां 72 वर्षीय एक बुजुर्ग फटे कपड़ों में पड़ा मिला। पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह इसी गांव का रहने वाला है और उसका नाम माधो है। गांव वाले उसे पालकी में बैठाकर उसके घर ले गए। परिवार को पहले तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन गौर से देखने के बाद उन्हें माधव की पहचान हुई।

अब दोबारा से होगा नामकरण

हैरानी की बात यह है कि परिवार ने माधो को घर में प्रवेश देने से इनकार कर दिया। घरवालों के अनुसार जब तक पुजारी दोबारा से माधव का नामकरण नहीं करेंगे तब तक उसे घर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। क्योंकि माधो का अंतिम संस्कार हो चुका है इसलिए उस नाम से वो घर नही आ सकता है। नामकरण संस्कार होने तक माधो के रहने के लिए घर के बाहर ही टेंट लगाया गया है।