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पशुपतिनाथ महादेव : मंदसौर में अष्टमुखी रूप में विराजित हैं भोलेनाथ

मकड़ाई समाचार मंदसौर। श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर शिवना तट पर स्थित है। यहां भगवान शिव के दर्शनार्थ प्रतिवर्ष लाखों भक्त मध्यप्रदेश सहित गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों से भी आते हैं। मंदिर में स्थित अष्टमुखी मूर्ति विश्व में एक ही है। श्री पशुपतिनाथ महादेव की मूर्ति सातवीं शताब्दी की है। बताया जाता है कि वर्षों पहले शिवना के उत्तरी तट पर प्राचीन किले से लगे मंदिर में यह मूर्ति स्थापित थी। इसके बाद भारत पर विदेशी आक्रांताओं के आक्रमण के दौरान मंदिर तोड़े गए और मूर्ति को शिवना में बहा दिया गया था। 1940 में उदाजी धोबी को सपने में मूर्ति दिखी और फिर इस स्थान पर खोदाई के बाद यह मूर्ति निकाली गई। 1962 में शिवना के उत्तरी तट पर स्थापित कर नाम दिया श्री पशुपतिनाथ महादेव मंदिर।

विशेषता : मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता श्री पशुपतिनाथ महादेव की सात फीट ऊंची और सात टन वजनी मूर्ति है। इसके अलावा मूर्ति के ऊपर के चार मुख में भगवान शिव बाल्यावस्था, युवावस्था, अधेड़ावस्था और वृद्धावस्था के रूप में हैं। श्रावण मास में यहां पूरे एक माह तक मनोकामना अभिषेक चलता है। इसमें शामिल होने के लिए देशभर के श्रद्धालु आते हैं। अभी कोरोना के चलते अभिषेक नहीं हो रहा है।

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मैं कई वर्षों से श्री पशुपतिनाथ महादेव के दर्शन के लिए आ रहा हूं। भगवान आशुतोष की महिमा अपरंपार है। यहां जो भी मांगो, जरूर मिलता है। श्रावण में शिवना में बहाव शुरू होने के बाद तो और भी अच्छा लगता है। – सोहनलाल उपाध्याय, भक्त

भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर में श्रावण में हजारों श्रद्धालु आएंगे। अभी गर्भगृह के बाहर से ही दर्शन हो रहे हैं। भगवान की अष्टमुखी मूर्ति पूरे विश्व में कहीं नहीं है। – पं. पुरुषोत्तम जोशी, पुजारी, श्री पशुपतिनाथ मंदिर