ब्रेकिंग
हरदा: रिलाएबल सोसायटी ने आयोजित किया यूथ मीट :यूथ वॉइस के माध्यम से युवा स्वास्थ्य, नशाखोरी तथा भ्रष... घोर कलयुग हैवान दरिंदे भतीजे ने 80 साल की वृद्धा ( बड़ी मां) के साथ किया दुष्कर्म, पुलिस ने दस घंटे ... जोगा किले की दीवार पर खड़ा होकर युवक ले था सेल्फी, संतुलन बिगड़ने पर नर्मदा नदी में गिरा, एसडीईआरएफ ... हरदा में शतरंज प्रतियोगिता संपन्न , कलेक्टर जैन आये प्रथम ! हरदा : जिले में रिक्त 21 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और 122 सहायिका के पदों पर होगी भर्ती सागर कलेक्टर की भ्रमित पोस्ट को लेकर केदार सिरोही ने लिखा आपत्ति पत्र, दिग्विजय सिंह ने केदार सिरोही... मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने मारा छापा, 80 हजार किलो खाद पकड़ी, कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों में नच... Today News: मप्र आज का मौसम : रविवार को ग्वालियर, चंबल, सागर-रीवा सम्भाग में भारी बारिश का अलर्ट राजा रघुवंशी हत्याकांड मे नया मोड़ शनिवार रात एक प्रॉपर्टी ब्रोकर को एसआईटी ने पकड़ा! प्रॉपर्टी ब्रोकर... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 22 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे

भूख से मौत मामले में अदालत ने मोदी और केजरीवाल सरकार से मांगा जवाब

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर केंद्र और आप सरकार से जवाब मांगा है जिसमें राष्ट्रीय राजधानी तथा देश के अन्य हिस्सों में भूख से लोगों विशेषकर बच्चों की मौतों से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए उन्हें निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।  मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करके याचिका में उठाए गए मुद्दे पर उनकी राय पूछी। इस जनहित याचिका में दावा किया गया है कि कुपोषण और भूख से मौत की घटनाएं झुग्गियों में रहने वालों में ज्यादा होती हैं क्योंकि इनमें से कई के पास सस्ती दर वाला खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए राशन कार्ड नहीं हैं।

- Install Android App -

15 फरवरी को होगी इस मामले में अगली सुनवाई
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक कल्याण तथा महिला एवं बाल विकास विभागों को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाए। अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 15 फरवरी 2019 की तारीख तय की है। अदालत ने यह आदेश वकील मनीष पाठक द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिया जिन्होंने दावा किया कि झुग्गियों में रहने वाले गरीब परिवारों के पास पते के सबूत की कमी के कारण अक्सर राशन कार्ड नहीं होते। याचिका में कहा गया कि यह उन्हें सस्ती दर वाला खाद्यान्न देने से इंकार करने का आधार नहीं होना चाहिए।