भाजपा का नेतृत्व उस समय भौंचक्का रह गया जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इंदौर में कहा कि वह अब स्वास्थ्य कारणों के चलते निकट भविष्य में चुनाव नहीं लड़ेंगी। सूत्रों के अनुसार सुषमा कुछ समय से भाजपा नेतृत्व से अपनी अनदेखी के चलते नाराज चल रही थी।
अमित शाह उनकी राजनीतिक सेवाएं नहीं ले रहे थे। यही नहीं, उन्हें मध्य प्रदेश में जो उनका राजनीतिक घर रहा है। चुनावों दौरान भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई। सुषमा स्वराज उस समय भी नाराज हो गई जब मध्य प्रदेश में भाजपा का चुनावी घोषणा पत्र जारी करने के लिए उनकी बजाय अरुण जेतली को वहां भेजा गया जबकि वह राज्य की चौथी बार सांसद बनी हैं।
यह इकलौता उदाहरण नहीं है जिसके चलते उन्होंने चुनाव न लडऩे का फैसला किया। हैरानी की बात है कि उनके इस ऐलान पर किसी भी वरिष्ठ नेता ने कोई टिप्पणी नहीं की। आंतरिक सूत्रों का कहना है कि निकट भविष्य में सुषमा कोई और विस्फोट कर सकती है।